ख्वाहिश नहीं मुझे ....
गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है। जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है ....
कैसे धैर्य रखूं कब तक चूप रहूं मैं ....
- फैसला अक्सर रहता है- ....
रास्ता कहां से शुरू करूं ये फैसला अक्सर रहता है मंजिल शुरू करने से पहले ये फैसला अक् ....
शशिप्रकाश की कविता - अगर तुम युवा हो ....
स्टीफेन स्पेण्डर की कविता - हम ....
A short Poem by Marshal Mangesh Gajbhiye Sir ....
जिनकी आँखों में सूरजमुखी के ख्वाब होते हैं ....
I did not say anything ....
कल फिर उस रायगढ़ पर मैंने शिवराय को देखा मैंने झुक कर उनको जय भीम कहा फिर वे गालों म ....
आहिस्ता चल जिंदगी अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है कुछ दर्ज मिटाना बाकी है कुछ फर्ज निभाना ....