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स्वर्णक्षीर

Narendra Shende
narendra.895@rediffmail.com
Wednesday, January 8, 2025, 10:29 AM
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#सत्यानाशी : (आर्जीमोन मेक्सिकाना) गर्मियों के दिनों में खेतों की मेड पर अपने आप उगने वाला यह पौधा कई नामों से जाना जाता है। इसके #पीले फूल मन को खूब आकर्षित करते हैं। गेहूं और सरसों की फसल में यह बिना बोये ही अपने आप उग आता है। भरभार, घमोई सत्यानाशी भट कटेया और न जाने किन-किन नाम से जानते हैं इसको। देश के ज्‍यादातर हिस्‍से में अगर किसी को सत्‍यानाशी कहा जाता है तो उसका मतलब काम खराब करने ,,वाले व्‍यक्ति से होता है. ऐसा व्‍यक्ति जो किसी काम का ना हो, जो हर बनता काम बिगाड़ता हो यानी जिसका कोई फायदा ना हो, ऐसे व्‍यक्ति को सत्‍यानाशी कहा जाता है, लेकिन एक पौधा ऐसा भी है, जो कैसी भी जमीन में, कहीं भी उग जाता है और उसका नाम सत्‍यानाशी। इस पौधे को आपने अक्‍सर सड़क के किनारे, सख्‍त बंजर जमीन में, पथरीली जगहों ,,,पर, कड़ाके की धूप वाली जगहों या सूरज की रोशनी ना पहुंचने वाली यानी हर जगह पर देखा होगा। सत्यानाशी पौधे में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं। इस पौधे में बहुत ज्‍यादा #कांटे होते हैं. इसके पत्ते, शाखाओं, तने और फूलों के आसपास हर जगह कांटे होते हैं. इसके फूल पीले रंग के खिलते हैं, जिनके अंदर बैंगनी रंग के बीज पाए जाते हैं. अमूमन किसी पौधे के फूल और फल तोड़ने पर सफेद रंग के दूध जैसा तरल पदार्थ निकलता है, लेकिन सत्यानाशी के पौधे से फूल तोड़ने पर पीले रंग के दूध जैसा तरल पदार्थ निकलता है. पीले रंग के दूध जैसा पदार्थ निकलने के कारण इसे #स्वर्णक्षीर भी कहा जाता है। अमूमन किसान इसे बेकार पौधा मानकर काटकर फेंक देते हैं। वहीं आयुर्वेद में इसे औषधि की तरह इस्तेमाल कर दवाइयां बनाई जाती हैं, जिनसे कई रोगों का इलाज किया जाता है. सत्यानाशी ,,,पौधे का हर हिस्‍सा यानी पत्ते, फूल, तना, जड़ और छाल आयुर्वेद में बेहद काम के माने जाते हैं, विशेषकर पशुओं में फूल दिखाने की (शरीर फेंकने) की समस्या में भी ये रामबाण औषधि है।





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