कैसे धैर्य रखूं कब तक चूप रहूं मैं Siddharth Bagde tpsg2011@gmail.com Thursday, January 13, 2022, 09:05 PM कैसे धैर्य रखूं कब तक चूप रहूं मैं दोस्त कहते है, रहने दे, घर के लोग कहते है, जाने दो पडौसी कहते है, ये होते रहता है चलते मुसाफिर कहते है, ये चलते रहता है कैसे धैर्य रखूं कब तक चूप रहूं मैं कोई पडौसी पर गुंडे चाकू तलवार से हमला करे मैं देखता रहूं, ये हो नहीं सकता क्योंकि जलती हुई अंदर की आग हूं मैं जब हमला रोकने जाने ही लगता हूं लोग कहते है जाने दो जो हो रहा है हो जाने दो तुम खतरा क्यों मौल लेते हो तुम्हारी जिंदगी खतरे मे मत पडने दो कैसे धैर्य रखूं कब तक चूप रहूं मैं सडक पर एक लड़की को लडके छेड रहे है चुपचाप सब लोग देख रहे है सबकी आवाज बंद है, लेकिन आवाज हूं मैं जैसे ही मैं छेडने वाले को रोकने लगता हूं चलते मुसाफिर कहते है, ये चलते रहता है तुम खतरा क्यों मौल लेते हो तुम्हारी जिंदगी खतरे में मत पडने दो कैसे धैर्य रखूं कब तक चूप रहूं मैं चारो तरफ फैला है, अंधविश्वास खुद पर खुद का ही नहीं है लोगो को विश्वास ये पाखंड, ढ़ोग विज्ञान को कर रहा बर्बाद अंधविश्वास को रोकने विज्ञान की बात बताता हूं मैं जैसे ही मैं बताने लगता हूं, पडौसी कहते है, ये होते रहता है तुम खतरा क्यों मौल लेते हो तुम्हारी जिंदगी खतरे में मत पडने दो कैसे धैर्य रखूं कब तक चूप रहूं मैं भ्रष्टाचार ने खा गई भारत की तरक्की वर्ना यूं ही हिन्दूस्तान तरक्की नहीं करता एक एक यूवाओ को कर्जदार बना दिया सरकारो ने भ्रष्टाचार रोकने कलम चलाने की बात करता हूं मैं जैसे ही मैं लिखने लगता हूं दोस्त कहते है रहने दो तुम खतरा क्यों मौल लेते हो तुम्हारी जिंदगी खतरे में मत पडने दो कैसे धैर्य रखूं कब तक चूप रहूं मैं जो मैं हूं वहीं तुम भी हो फर्क इतना है मैं लड़ता हूं तुम डरते हो एक बार आवाज बन जाओ मेरी तुम और मैं एक बनकर लड़ता हूॅ मैं जैसे ही मैं कहने लगता हूं तुम कहते हो हम कहो जब मैं हम कहता हूं तब भी अकेला रह जाता हूं मैं कैसे धैर्य रखूं कब तक चूप रहूं मैं कवि - सिद्धार्थ बागड़े Tags : how to be patient how long can i be silent patient