इतिहास चोरी TPSG Friday, June 16, 2023, 11:17 AM इतिहास चोरों के कारण कुछ बुद्धिजीवी ऐसे हैं, जो लगातार रट्टा मारे जा रहें है कि संस्कृत अगर ईश्वर की भाषा नही है तो पाली पक्कीत (प्राकृत) से पुरानी भाषा तो जरूर है। क्योकि संस्कृत छांदस (लयवद्ध) की भाषा है। अब ऐसे को कौन समझाए कि छांदस या पद्य भी संस्कारित शब्द है। जहां तक लयवद्धता की बात है तो धम्मपद की पूरी गाथा लयवद्धता वाली ही है। यानी यह भी पद्य है, छांदस है! फिर धम्मपद संस्कृत क्यों नही है? धम्मपद तो धम्म लिपि पाली पक्कीत भाषा में है। चित्र नम्बर 1 में वेद में वर्णित/लिखित संस्कृत की वर्णमाला है। जिस वर्णमाला में हलन्त, विषर्ग, श, ष, क्ष, त्र, ज्ञ सहित ऋ भी अंकित है। अब जब वेद में इस प्रकार की वर्णमाला अंकित है तो वेद की ध्वनि भी उसी वर्णमाला के अनुसार निकलती होगी। जबकि पुरातात्विक रूप से मिले अभिलेखों में हलन्त विषर्ग सहित श, ष, क्ष, त्र, ज्ञ, ऋ की वर्णमाला का उपयोग भी नही मिलता है। फिर पाली पक्कीत के समय इस प्रकार के स्वर और व्यंजन वाली ध्वनि कैसे बनता होगा? चित्र नम्बर 2 सम्राट अशोक का अभिलेख में लिखित वर्णमाला को देखें वेद की पाण्डुलिपि और सम्राट अशोक का शिलालेख, दोनो की वर्णमाला में कितना बड़ा अंतर सच्चाई यह है कि धम्म लिपि के वर्णमाला का क्रमिक विकाश होते हुए देवनागरिलिपि में रूपांतरण हुआ है। जिस देवनागरी लिपि के वर्णमाला का विकास या विस्तार होने के बाद ही संस्कृत में प्रयोग होने वाला वर्ण का उदय हुआ है। धम्म लिपि का देवनागरी लिपि में क्रमिक विकास का चित्र 3,4,5 - राजीव पटेल Tags : development gradual development Devanagari script alphabet of Dhamma