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आर्य -अनार्य

Dilip More

Friday, December 6, 2024, 10:32 AM
RS Verma

आर्य -अनार्य थ्योरी का पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिलता, क्योंकि दोनों बुद्धिस्ट शब्द है*

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*सत्य जब तक उठकर खड़ा होता है, झूठ आधी दुनिया का चक्कर लगा चुका होता है*

एड आर एस वर्मा

एक कहानी जो भारतवासियों को सैकड़ो वर्षों से पढ़ाई गई कि आज से 5000 वर्ष पहले विदेश से कोई *आर्य* प्रजाति आक्रांता के रूप में भारत आई, उसका यहां के मूल निवासियों से संघर्ष हुआ, मूल निवासी युद्ध में हार गए, उन्हें आर्यों ने अपना गुलाम, दास बनाया वर्ण व्यवस्था का निर्माण किया और उन्हें चौथे पायदान में शूद्र की श्रेणी में रखकर सारे अधिकारों से वंचित कर दिया, इस कहानी में कुछ ऐसे सवाल है जिनका जवाब ढूंढना जरूरी है

1- *आर्य किस देश से भारत आए*:- आर्य कहां से आए विद्वानों में एकमत नहीं है, राहुल संस्कृतायन का मानना है की आर्य *यूरेशिया* से भारत आए, तिलक का मानना है *उत्तरी ध्रुव* से, गंगानाथ के अनुसार आर्य *अज्ञात ब्रह्मदेश* के निवासी थे, दयानंद सरस्वती ने *तिब्बत* से माना है, डॉ अविनाश दास ने आर्यों का आगमन *सप्त सैंधव* प्रदेश से और जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया में माना है कि आर्यों का देश *मध्य एशिया* है,

उपरोक्तानुसार विद्वानों में मतभिन्नता के करण यह साबित होता है कि आर्यों के आगमन का एक *अनुमान* के अलावा कुछ नहीं है, सबकी अपनी डफली अपना राग है,

भारत के सवर्ण बुद्धिजीवियों के साथ बहुजन विद्वान भी इस थ्योरी को सच मानकर चल रहे हैं

आर्य- अनार्य के युद्ध का आज तक कोई पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है, जिस सिंधु घाटी सभ्यता और मोहनजोदड़ो से जोड़कर आर्य- अनार्य की काल्पनिक कहानी गढ़ी गई है, उसका पता ही 1924 में हुआ है, एक अंग्रेज पुरातत्वविद *सर जान मार्शल* ने 1924 में खुदाई की थी, वहां कुछ कंकाल मिले थे, इन्हीं कंकालों के आधार पर अनुमान लगा लिया गया कि आर्य- अनार्य के बीच से युद्ध हुआ होगा, यह एक अनुमान है, साक्ष्य नहीं,

इन्हीं अनुमानों के आधार पर आर्य -अनार्य के युद्ध की एक काल्पनिक कहानी परोस दी गई

यह सत्य है कि हमेशा विदेशी भारत आते रहे हैं और भारत की *सम्यक संस्कृति* में समाहित होते चले गए, हो सकता है इसी तरह के कुछ कबीले आए हों और सम्यक संस्कृति का सैकड़ो वर्षों तक चोला ओढ़ कर छिपे रहे हो, मौके की तलाश में रहे हो और जैसे ही उन्हें मौका मिला अपने असली रूप में आ गए हो

2- *आर्य-अनार्य वास्तव में किसे कहा गया है?*:- सम्यक संस्कृत मे *अरिय (आर्य)* उसे कहा जाता था जो बुद्ध के *चार आर्य सत्य* और अष्टांगिक मार्ग का पालन करता था और जो बुद्ध के चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का पालन नहीं करता था उसे *अनारियो ( अनार्य)* कहा जाता था, बौद्ध ग्रंथ में कहा गया है-- *चत्तारि आरियो सच्चानी अट्ठांगिक मग्ग*

इस प्रकार जब पाली भाषा को संस्कारित करके 10 वीं शताब्दी में *संस्कृत* भाषा नालंदा विश्वविद्यालय में *बौद्धों* द्वारा बनाई गई तो पाली भाषा का *आरियो* शब्द संस्कृत में *आर्य* और *अनारियो* शब्द *अनार्य* बन गया, जब आर्य -अनार्य शब्दों की 10 वीं शताब्दी के बाद उत्पत्ति ही हो रही है तो 5000 वर्ष पहले इन शब्दों को ले जाकर ब्राह्मणों द्वारा काल्पनिक कहानी बनाना, *बुद्ध* और सम्राट *अशोक* के इतिहास से अपने आपको पुराना साबित करने के अलावा कुछ नहीं है

3- *मुगलों के जजिया कर से बचने के लिए ब्राह्मणों ने आर्य शब्द को अपना बना लिया*:- 12वीं शताब्दी के बाद भारत में मुगलों का शासन स्थापित होने लगा था, मुगलों ने जब भारतवासियों पर *जजिया* कर लगा दिया, उससे बचने के लिए ब्राह्मणों ने बुद्धिष्ट शब्द *आरियो( आर्य)* को अपना बनाकर खुद विद्वान बन गए और मुगलों से कहने लगे उनकी तरह वह भी विदेशी है और उनसे पहले भारत में आए हैं, मुगलों को शासन चलाने के लिए यहाँ की भाषा जानने वालों की जरूरत थी, इसलिए इन ब्राह्मणों को अच्छे-अच्छे पदों में रख लिया, मुगलों की प्रशंसा में ब्राह्मणों ने खूब कहानियाँ गढी, यहां तक की *अकबर* को अपना ब्राह्मण भाई भी बना लिया, इस ब्राह्मण मुगल गाठजोड़ से *वर्णव्यवस्था* का जन्म हुआ, जिन बुद्धिस्टों ने ब्राह्मण धर्म को स्वीकार नहीं किया, उन्हें वर्ण व्यवस्था के चौथे पायदान ( शूद्र) पर रखकर सभी अधिकारों से वंचित कर दिया गया

- एडवोकेट आर.एस.वर्मा





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