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मैं हैरान हूँ

Siddharth Bagde
tpsg2011@gmail.com
Thursday, April 18, 2019, 11:41 AM
Heran

मैं हैरान हूँ

में हैरान हूं यह सोचकर
किसी औरत ने उंगली नहीं उठाई
तुलसी दास पर ,जिसने कहा :- 
"ढोल ,गवार ,शूद्र, पशु, नारी,
सारे ताड़न के अधिकारी।"

में हैरान हूं
किसी औरत ने
नहीं जलाई "मनुस्मृति"
जिसने पहनाई उन्हें
गुलामी की बेड़ियां।

में हैरान हूं
किसी औरत ने धिक्कारा नहीं
उस "राम" को
जिसने गर्भवती पत्नी को
जिसने परीक्षा के बाद भी
निकाल दिया घर से बाहर
धक्के मार कर।

किसी औरत ने लानत नहीं भेजी
उन सब को, जिन्होंने
" औरत को समझ कर वस्तु"
लगा दिया था दाव पर
होता रहा "नपुंसक" योद्धाओं के बीच
समूची औरत जाति का चीरहरण।

मै हैरान हूं यह सोचकर
किसी औरत ने किया नहीं
संयोगिता_अंबा - अंबालिका के
दिन दहाड़े, अपहरण का विरोध
आज तक!

और में हैरान हूं
इतना कुछ होने के बाद भी
क्यों अपना "श्रद्धेय" मानकर
पूजती है मेरी मां - बहने
उन्हें देवता - भगवान मानकर।

मैं हैरान हूं
उनकी चुप्पी देखकर
इसे उनकी सहनशीलता कहूं या
अंध श्रद्धा , या फिर
मानसिक गुलामी की पराकाष्ठा?
                                        -  कवियत्री:-महादेवी वर्मा





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