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बौद्ध धर्म ग्रहण

Dinesh Bhaleray

Friday, June 21, 2019, 07:39 AM
Boudh dhamm

बौद्ध धर्म ग्रहण
मेरे पति एक दलित हैं और उन्होंने भारतीय संविधान के अनुसार हिन्दू धर्म को त्याग कर बौद्ध धर्म को अपनाया है। सवाल उठता है कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया ? यह सवाल मैंने भी उनसे पूछा तो उनका जवाब आया।
‘‘मैं अपने और अपने दलित समुदाय के लोगों के साथ हुए अत्याचार को नहीं भुल सकता जिस धर्म ने दलितों का शोषण, अत्याचार किया, उस धर्म को मैं नहीं अपना सकता। डाॅ. बी. आर. आंबेडकर जी ही मेरे भगवान, आदर्श, प्रेरणा हैं उन्होंने ही मुझे सर उठाकर जीना सिखाया दलितों का कल्याण किया इसलिए मैंने बौद्ध धर्म को अपनाया। हिन्दू धर्म जातिगत ऊँच नीच में बटी हुई है, लोगों में एकता नहीं है, इसलिए मैंने इस धर्म को त्याग दिया और उन्होनों कहा कि -
(1)    दलित मंदिर जाते थे तब उनको मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता था, गलती से भी अगर पंडित देख लेता था तो मंदिर में गंगा जल छिड़का जाता था जिससे दलितों के दिल में आहत पहुँचती थी।
2. जब कभी भी दलित आगे बढ़ते थे तो इसी धर्म के स्वर्ण जातिके लोग खासकर राजपुत, भुमियार यानी क्षत्रिय जाति के लोग दलितों के धन को छिन लेते थे और बाकि दुसरी जाति के लोग खड़े होकर हँसते थे।
3. इसी धर्म के खासकर क्षत्रिय जाति के लोग दलितों पिछड़ों कि बेटियों से बलात्कार करते थे।
4. इसी धर्म के क्षत्रिय यानी राक्षस जाति के लोग दलितों और पिछड़ी जाति कि बेटियों को नंगा करके गांवों में घुमाते थे।
5.    कल दलितों के साथ अगर अन्याय होता था तो पंचायत दलितों को न्याय नहीं दिलाता था।
आज भी गांवों में अनपढ़ गवांर लोगों द्वारा जातिगत भेदभाव किया जाता है। जिसके कारण दलित अब उग्र होते जा रहे है। कहीं ऐसा न हो कि दलित आने वाले समय में मुस्लिम की तरह आतंकवादी के रास्ते पर जाए। तब यह भारत तबाह जो जाएगा और कोई भी नरेंद्र मोदी, लहसुन, मिर्च हो आतंकवाद को खत्म करना नामुमकिन हो जाएगा।
- दिनेश भालेराय





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