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स्वतंत्रता का सिद्धांत

Kisan Bothey

Thursday, July 4, 2019, 03:30 PM
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स्वतंत्रता का सिद्धांत
हिंदू धर्मशास्त्रो की विचारधाराओ द्वारा स्थापित सामाजिक व्यवस्था विचार, अभिव्यक्ति तथा स्वेच्छा से धर्मपालन की कोई स्वतंत्रता नही है! इस व्यवस्था के अनुसार हिंदू समाज के प्रत्येक वर्ग को वही करना कहना एवं सोचना चाहिये जो हिंदू धर्मशास्त्रो मे वर्णित एव उपदेशित है।
इस व्यवस्था मे यदि कोई व्यक्ति तर्क वितर्क अभिव्यक्ती एव अनास्था एव अंधविश्वासी बात का विरोध प्रकट करता है तो उसे कठोरतम दंड का हिन्दु धर्मशास्त्रो मे प्रावधान है, जिसके कारण कोई भी व्यक्ती स्वतंत्र रूप से कोई भी व्यक्ती अपने विचार प्रकट भी नही कर सकता है।
इस प्रकार हिंदू धर्मशास्त्रो की विचारधाराओ मे स्वतंत्रता के सिद्धांत का नितांत अभाव है जो कि भारतीय संविधान की प्रावधानो के अनुसार विपरीत है और मानव कल्याण एव राष्ट्र हितो के विरुद्ध है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 10, 20, 21, 22 एवं 23 में स्वतंत्रता का अधिकार प्रदत्त है। स्वतंत्रता का सिद्धांत हमारे संविधान का दूसरा मूल तत्व है, जो हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का आधारभूत है, क्योंकि स्वतंत्र विचार विमर्श के बिना किसी भी प्रकार की लोकशिक्षा संभव नही है। हमारे संविधान में विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म एव उपासना की स्वतंत्रता स्पष्ट रूप से पारिभाषित है जो राजनैतिक स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है।
कोई भी व्यक्ति अपनी क्षमता एव योग्यतानुसार कोई व्यवसाय करके अपना विकाष कर सकता है। आज प्रत्येक नागरिक स्वतंत्रता पूर्वक अपने विचार अभिव्यक्ती करके कोई भी धर्म अपनाने एव कोई भी सम्पत्ती रखने हेतु स्वतंत्र है। स्वतंत्रता का यह रूप समाज की प्रगति के लिये आवाश्यक है, लेकिन इसका यह भी तात्पर्य नही कि कोई भी व्यक्ति स्वतंत्रता का दुरूपयोग करे।
हमारे संविधान की स्वतंत्रता का अधिकार नागरिक कल्याण एव राष्ट्र हितो मे प्रतिबन्धित है, परंतु समाज के कमजोर वर्गो के लिये विधिक सुरक्षा की आवाश्यकता है क्योंकि भारतवर्ष मे शक्ति संपन्न लोग सत्ता का दुरूपयोग केवल राज्य से ही नही अपितु संपत्ति एव मनु की सामाजिक व्यवस्था से भी करते है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रहित में यह आवष्यक है कि गरीब एव शोषित लोगो की स्वतंत्रता बचाने हेतु शक्ति संपन्न लोगो की असंवेधानिक बातो पर अंकुष लगवाया जाये जिससे प्रत्येक नागरिक स्वतंत्रता की भावना का सही रूप से पालन करके आदर्श समाज की रचना मे अपना योगदान दे सके।
- किशन बोथे





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