आस्था और विश्वास Narendra Meshram meshramnk2000@gmail.com Saturday, May 18, 2019, 08:37 AM आस्था और विश्वास ऐसी मान्यतायें है कि आस्था और विश्वास एक दूसरे का पर्याय है। जहॉ आस्था है वहॉ विश्वास भी है। हम अपने पूजा स्थल, चाहे वह घर का हो या बुद्ध विहार का, प्रतिदिन किए जा रहे मंत्रों के उच्चारण से तरंगों का वातावरण निर्मित होता है। ये तरंगे आपके आसपास सकारात्मक या नकारात्मक चक्र उत्पन्न करती हैं। चाहे वे मंत्र कोई भी हो। त्रिरत्न वंदना हो या रतनतय सुत्त, महामंगल सुत्त हो या जयमंगलअष्ठ गाथा, अट्ठवीसति हो या बोधि वंदना, चैत्य वंदना हो या क्षमा याचना या फिर रक्षा सूत्र हो या मेत्तासुत। ये सभी गाथायें या सुत्त बौद्ध धम्म के मंत्र हैं। इनके प्रतिदिन घरों में तंरगों से एक प्रकार का आभामंडल/आराध्चक्रवलय का निर्माण होता है। आपको भी इसका कड़वा अनुभव है। क्या कारण है कि एक व्यक्ति जिसके यहॉ पानी से ही काम चल जाता है और उसके घर हम घंटों बैठ जाते हैं जबकि दूसरा व्यक्ति हर सेवा जतन करने को तैयार है किन्तु उसके घर पॉच मिनट भी बैठना गवारा नहीं। यह सब व्यक्ति/व्यक्तित्व एवं घर के आभामंडल पर निर्भर करता है। किसी घटना को याद करें कि आपने किसी को सच्चे मन से याद किया और कुछ ही पल में वह आपके सामने हाजिर होता है। आप स्वयं अनुभव करें अपने आसपास के वातावरण से। किसी भी पूजा स्थल का वातावरण इसी पर निर्भर करता है। यदि उसमें जुड़ने वाले लोग आस्थावान होंगे तो सचमुच वहॉ से प्रवाहित तरंगे भी सकारात्मक होंगी। लोकहितेषी होंगी और सच्चे मन से दिया गया दान भी लोगों को उपकृत करेगा, परोपकार करेगा। किन्तु यदि आस्थास्थलों पर जुड़ने वाले लोग स्वार्थवान होंगे तो सचमुच वहॉ से प्रवाहित तरंगे भी नकारात्मक होंगी। हानिकारक होगी। इसके उल्टा - यदि आस्था स्थलों पर, पूजास्थलों पर लगने वाला धन गलत तरीके से कमाया गया है और दान दिया गया है तो वह दान भी व्यर्थ होगा। उस आस्था स्थलों या पूजास्थलों से निकलने वाली तरंगे रागद्वेष का कारण बनेगी और अनंततः आस्था स्थल खंडहर या एक गुलदश्ते में तब्दील होगा। इसलिए किसी भी तरह का दान किसी नाम, यश या किर्ती पाने की आडम्बरी कामना से ना करें। दिल से करे। सच्चे मन से करें। अब साक्षात् दर्शन करें जिन आस्था स्थलों या पूजा स्थलों या बुद्ध विहारों में कहीं भी ऐसा है तो उसका स्वयं अनुभव करें। आपको दिखाई भी देगा और उसका अनुभव भी होगा। लोग अधिक से अधिक कहॉ इकट्ठा हो रहें हैं, वास्तव में वहॉ अच्छी सोच का ही परिणाम होगा कि लोग अधिक इकट्ठा होंगे। वहॉ लोगो की आस्था भी बलवती होगी। वहॉ हर प्रकार का दान भी देखने को मिलेगा। अब देखें कि लोगों की आस्था कहॉ भटक रहीं है, उसे केंद्रित करने के लिए क्या हम प्रयासरत हैं। बिखरे हुए मोतियों कैसे समेटकर पिरोये कि सुंदर मोतियों की एक माला बने। - नरेंद्र मेश्राम (कोलार, भोपाल) Tags : around negative positive everyday Buddha Vihar worship atmosphere synonymous belief