धम्मसभा TPSG Sunday, August 8, 2021, 02:37 PM समाज को जोड़ने व जगाने के लिए धम्म संगति/ धम्मसभा जरूरी है।* पूरे देश में RSS की लगभग साढ़े 62 हज़ार शाखाएं प्रतिदिन संचालित की जाती है। RSS से जुड़ा हर व्यक्ति रोज सुबह 6 बजे जगकर RSS की शाखा में जाता है, यह शाखा रोज होती हैं। शाखा में योग खेल दौड़ और प्रार्थना होती हैं, (हास्टल के समय मैं खुद शाखा में जाता था।) इसके बाद शाखा से वापस आकर नहा धोकर खा-पीकर स्कूल या आफिस के लिए जाते हैं, पूरा समय मेंटेन हो जाता है। कोई यह नहीं कहता कि शाखा में जाऊंगा तो स्कूल कालेज या आफिस के लिए लेट हो जाऊंगा, नहीं। सारा काम समय पर करते हैं, धम्म और समाज के लिए भी समय निकाल लेते हैं। अगर दलितों या बौद्ध रूपी दलितों को किसी ऐसे शायंकालीन या प्रात: कालीन धम्म संगति के लिए कहा जाए तो वे समय ही नहीं दे पाते हैं। जब तक बौद्धों की स्पष्ट सामाजिक सांस्कृतिक धार्मिक पहचान स्थापित नहीं होती, तब तक बौद्ध दलित या हिन्दू ही माने जाते रहेंगे। और इस तरह से भटके हुए गुमनाम तरीके से बौद्ध बनने का कोई फायदा नहीं। गुलाम और असंगठित रहकर आप जातिवाद मनुवाद का एक बाल भी नहीं तोड़ सकते। इसलिए हम सभी बौद्धों से अनुरोध करते हैं कि हर सुबह आधा घंटे, या हर रविवार/ बुधवार पूर्णिमा को सपरिवार विशेष सामूहिक धम्मसभा जरूर किया जाए। Tags : casteism unorganized continue established Buddhists identity religious socio-cultural