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सरकारी बैंकों का निजीकरण

Vijay boudh

Monday, March 22, 2021, 09:07 AM
Privatization of banks

नरेंद्र मोदी सरकार बैंकों का निजीकरण कर लोगों का पैसा हड़पना चाहती हैं। कुछ दिन पहले रिजर्व बैंक का पैसा हड़प लिया। और उस पैसे से डोनाल्ड ट्रंप की सभाएं और उनके राजनीतिक उत्थान कल्याण के लिए खर्च किए हैं। कुछ बैंकों का निजीकरण कर आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में पैसा हड़पना चाहते हैं। देश की संपत्ति का भी निजीकरण कर चंद पूंजीपतियों से अरबों खरबों रुपया  लेकर किसानों को भी पूजीपतियों का गुलाम बनाने की साजिश रची गई है। देश की संपत्ति को इसलिए बेचा जा रहा है ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव में नासमझ, लोगों को खरीदा जा सके और चुनाव साम दाम दंड भेद किसी भी तरह से जीता जा सके। और सत्ता पर कब्जा हमेशा हो सके। मनुवादी, विचारधारा, फासीवादी ताकतें, देश को गुलाम बनाने की साजिश में लगे हैं। इसलिए चंद पूंजीपतियों जो ब्राह्मण वादियों को भी शक्तिशाली और संपन्न बनाने की योजना में लगे है। इसलिए वक्त रहते इन आर एस एस मनुवादी फासीवादी ताकतों का खात्मा करने के लिए तमाम देश के बुद्धिजीवी देशभक्तों को संगठित होकर इनके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन छेड़ने की सख्त आवश्यकता है। ईवीएम मशीन एवं चुनाव आयोग के खिलाफ सड़कों पर करोड़ों लोगों को तत्काल आ जाना चाहिए अन्यथा आम लोगों के संवैधानिक अधिकार स्वतंत्रता को खत्म कर दिया जाएगा। - विजय पाटिल





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