नौरात्र उत्सव बौद्ध महिलाओं का शाक्तपंथी बौद्ध उत्सव Pratap Chatse Saturday, September 2, 2023, 12:25 PM नौरात्र उत्सव बौद्ध महिलाओं का शाक्तपंथी बौद्ध उत्सव हैं| नौरात्र में कलशपूजन, बीजरोपण, देवी पुजा यह सभी बौद्ध परंपराएँ हैं| कलश स्थापना करना मतलब निर्वाण प्राप्ति के लिए दस दिन दस पारमिताओं से गुजरना है| नौ दिन नौ पारमिताओं से गुजरने को नौरात्र उत्सव कहते हैं और दसवें दिन सिद्ध अर्थात बोधिसत्व महिला मारा पर विजय पाकर कलश में उगते बीज के रूप में बोधि या सिद्धी प्राप्त करतीं हैं| पुर्ण कलश पुर्णता अर्थात बुद्धत्व का प्रतीक होता है और उसमें पहले दिन डालें हुए बीज बोधिचित्त या तथागत गर्भ के प्रतीक होतें है| यह बोधिचित्त नौ दिन नौ पारमिताओं से गुजरकर पौधे के रूप में बढने लगता है और दसवें दिन पौधे अर्थात पुर्णबोधि अर्थात निर्वाण के रूप में कलश के बाहर बढता है| इस तरह, नौरात्र उत्सव बौद्ध महिलाओं का शाक्त बौद्ध परंपरा का उत्सव हैं| -डॉ. प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क Tags : Buddhist traditions worship planting Kalash puja