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बोधिसत्व श्रमक पुष्कलावती

Pratap Chatse

Wednesday, January 8, 2025, 10:18 AM
Pusplata

बोधिसत्व श्रमक पुष्कलावती में रहकर अपने अंधे माता-पिता की सेवा करते थे I

एक दिन वे अपने अंधे माता-पिता के लिए फल लाने गए थे। तभी एक राजा जो शिकार के लिए निकले श्रमक को अनजाने में बिष-बाण मार दिए I

श्रमक बोधिसत्व मरे नहीं बल्कि उनका घाव औषधि से ठीक हो गया I

माता - पिता की सेवा करनेवाले बोधिसत्व श्रमक की स्मृति में पुष्कलावती मैं स्तूप बना था,जिसका जिक्र ह्वेनसांग अपनी यात्रा वृतांत में करते हैं I

यहीं बोधिसत्व श्रमक का इतिहास श्रवण कुमार की कथा के नाम से पुराणों में दर्ज है I

~( ह्वेनसांग के यात्रा ) यह नक्काशी चीन बौद्ध स्थल पर बना है ।





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