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माईसाहब

TPSG

Saturday, January 30, 2021, 11:59 AM
 MiSahab

बाबासाहब के जीवन में रमाई का स्वतंत्र स्थान है वही माईसाहब का भी उतना ही महत्वपूर्ण। रमाई बाबासाहब के पूर्वार्द्ध जीवन की प्रेरणा थीं तो माईसाहब उत्तरार्ध्द जीवन की छांव। बाबासाहब के पंखों को बल देने का काम माईसाहेब ने किया है। उनके साहचर्य से ही संविधान लिखा गया,धम्मक्रांति की गई और दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ 'बुद्ध और उनका धम्म' लिखा गया।

14 अक्तूबर 1956 को दीक्षा समारोह में माईसाहब बाबासाहब का आधार स्तंभ बनकर साथ थीं। बाबासाहब के उत्तर आयुष्य में माईसाहब उनके सहारे की लाठी थीं।

उनका आधार लेकर ही बाबासाहब ने संविधान लिखा, धर्मांतरण की प्रतिज्ञा पूर्ण की तथा 'बुद्ध और उनका धम्म ' जैसा सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ पूर्ण किया। बाबासाहब के जीवन का उच्चांक माईसाहब के सान्निध्य में ही साकार हुआ।

बाबासाहब के तेजस्विता के समस्त आविष्कार,उसी समय साकार हुए जब माईसाहब उनके संग -साथ थीं।

"कभी -कभी मेरी हालत इतनी नाज़ुक हो गयी कि डाॅक्टर ने मुझे बुझती हुई लौ कहा। इस बुझती हुई लौ से

पुनर्ज्वलन मेरी पत्नी की चिकित्सकीय कुशलता की वजह से है एवं डाॅ. मालवनकर जो डाॅक्टर की हैसियत से

मुझ पर ध्यान दे रहे थे, मैं उनके प्रति आभारी हूँ। इस कार्य को पूर्ण करने में उन्होंने मेरी सहायता की। "

----- बाबासाहेब आंबेडकर

माईसाहब की स्मृति को विनम्र अभिवादन ,..!

----------------------------रेवती पाझारे अलोने

हिंदी प्रस्तुति : राजेंद्र गायकवाड़





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