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शुभकामनाओं का भ्रम

Nilesh Vaidh
nileshvaidh149@gmail.com
Friday, December 10, 2021, 12:07 PM
illusion of good luck

शुभकामनाओं का भ्रम

 आपको होली की, जन्मदिन की शुभकामनाएँ, आपको शादी की सालगिरह की शुभकामनाएँ, नववर्ष की शुभकामनाएँ, दीपावली की शुभकामनाएँ, स्‍वतंत्रता दिवस शुभकामनाएँ, आदि ये सब शब्द प्राय: हमें सुनने को मिलते रहते हैं लोग इनके बारे में सोचते नहीं केवल बोलते रहते हैं यदि गहराई सोचा जाए तो इन सब शुभकामनाएँ, का तात्पर्य क्या है? क्या कर रहे हैं?  क्या कह रहे हैं? आखिर जिन लोगों की पिछले वर्ष मौत हुई है उनको किसी न किसी शुभकामनाएँ दी ही होगी या तो किसी न किसी ने जन्म दिन पर, या दिवाली पर, या स्वतंत्रता दिवस पर, या शादी की सालगिरह पर शुभकामनाएँ, दी ही थी तो आखिरकार उनकी मौत क्यों हुई? क्या इन शुभकामनाओं का कोई प्रभाव नहीं हुआ तब फिर ऐसी शुभकामनाओं का मतलब क्या है? यह सवाल मेरे जहन में आता है शायद आपके जहन में भी आ रहा होगा। लेकिन आप सोच रहे होगें। अरे शुभकामनाएँ, देना बहुत जरूरी है हम पोजीटिब सेाचेगें तो अच्छा होगा शुभ मतलब अच्छा ही तो होता है  हम यही तो चाहते है। कि आपको मेरी ओर से अच्छी इच्छाऍं, लेकिन मेरा कहने का तात्पर्य केवल यह है कि हम ऐसा कह कर क्या रहे हैं? आप किसी से कह रहे है कि मेरी ओर से आपको बहुत अच्छी इच्छाएं ऐसा कह कर क्या हम इतिश्री नहीं कर ले रहे हैं, क्या हम उन्हें भ्रम नहीं रख रहे हैं क्या हम ऐसा कहकर यह चाह रहे हैं कि बस आप अच्छे रहे , लेकिन अच्छे रहने के लिए वो परिस्थितियां तैयार करनी होगी। वे परिस्थितियां यदि हम तैयार नहीं करेगें तो हमारे कहने का तात्पर्य क्या है और परिस्थितयां तैयार कर लेगें तो ऐसा कहने की जरूरत भी नहीं है तब फिर हमें क्या सोचना चाहिए हमें शुभकामनाओं में अपना समय व्यर्थ करना चाहिए । या हमें उन कारणों को खोजना चाहिए जिनके कारण हमारा साथी बेहतर अवस्था में हो बेहतर अवस्था के लिए दोनों चीजें आवश्यक है एक तो उसकी मानसिक स्थिति दूसरी उसकी बाह्य परस्थितियां मानसिक स्थिति के लिए भी हमें प्रयास करने होगें ओर बाह्य परिस्थितियों के लिए भी प्रयास करने होगें कुछ कारणों के लिए भी हम व्यकितगत रूप से जिम्मेदार होंगे। शेष कार्यो के लिए समाज जिम्मेदार है तो हमें सामाजिक परिवर्तन भी चाहिए। और न केवल स्वयं में परिवर्तन चाहिए बल्कि  सामाजिक परिवर्तन भी चाहिए। इन दोनों में जितना समन्वय होगा उतना ही हमारा समाज बेहतर होगा । व्यक्तिगत परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन इन दोनों का समन्वय बहुत आवश्यक है। हम एक किसी को भी प्रभावी नहीं मान सकते। यदि हम सोचेगें कि व्यक्ति नहीं सुधरेगें तो युग नहीं सुधरेगा तो ऐसी बात नहीं है। आप बहुत साफ-सुथरे घर से निकले तो और सामने वाला आपके ऊपर कचड़ा डाल दें तो क्‍या होगा? आप साफ रह पायेंगे ! बिल्कुल नहीं इसके लिए आवश्यक है, कि आपके पड़ौसी भी स्वच्छ हो यहां केवल तात्पर्य स्वच्छता से नहीं आपका पड़ौसी से भी स्वच्छता के प्रति सतर्क हो। यहा तात्पर्य पूरा समाज भी ठीक होना चाहिए, बेहतर होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हैं। कि एक दिन में ही सब कुछ हो जाएगा, इसके लिए समय-समय में प्रक्रिया हो, सवाल यह है कि उस प्रक्रिया में हम बाधक है या हम उस प्रक्रिया को ओर तेज कर रहे हैं हम से पहले भी लोगों ने समाज को बेहतर करने के लिए भी प्रयास किये हैं, दूसरी तरफ बाधक भी बहुत सारे लोग रहे है हम देखते हैं यदि जो बाधक का काम करते है वो अपने को ही बहतर मानते हैं कहते हैं कि हम तो आपना काम कर रहे हैं इनजॉय कर रहे हैं हमारी लाइफ हमारा जीवन चलता रहेंगा । लेकिन जो लोग प्रक्रिया को तेज कर रहे हैं वो अपने काम में लगे हैं उन्हें इस बात की चिंता नहीं होती है कि उन्हें सम्मानित करे, उन्हें कोई विशेष रूप से महत्व दे। लेकिन अपने काम में लगे रहते हैं लेकिन जो बिना मेहनत के चाहते हैं कि उन्हें सम्मान मिल जाए वो केवल आप से यह कहते रहेगे कि मैं आपके लिए शुभकामनाएँ देता हूँ। आपके लिए अच्छे कामना करता हूँ, मुबारक बाद देता हूँ, नेताओं के मुँह से यह शब्द बहुत सूनने को मिल जाएगें यहीं सब कहते रहेंगे मैं आपकी बेहतर भविष्य की कामना करता हूँ। मैं यही चाहता हूँ, कि आपका जीवन अच्छा हो। अरे, आपके चाहने से नहीं होगा। हमें वो परिस्थितियॉं तैयार करनी होगी जिनसे हमारा जीवन बेहतर हो सकें। कुछ लोग तो यह कहते हुए भी पाये जाते हैं कि आपकी उज्ज्वल भविष्य के लिए ईश्वर से कामना करता हूँ । यह तो उस भिखारी के जैसे हुआ कि भिखारी आकर कहता है कि मैं आपके लिए भगवान से दूआ मांगता हूँ । अरे, दुआ देने वाले और यदि आपकी दूआ से कुछ होना है तो अपने लिए ही मांग लिजिए।  जब आपके लिए कोई भी जन्म दिन की शुभकामनाएँ देता हैं तब शायद संकोच बस उससे यह नहीं कह पाते कि उन सब शुभकामनाओं का कोई तात्पर्य नहीं हैं पुन: इस बात पर विचार करे, शायद  हम कुछ कर पाये, उन कारणों को जानकर जो हमारे लिए प्रगति में बाधक है और हम समाज को बेहतर बना पायेंगे।





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