बेरोजगारी Kisan Bothey Monday, March 22, 2021, 04:49 PM आप जब ये पढ़ रहे हैं इतनी देर में देश में एक शख्स एक ख़ास वजह से खुदकुशी कर चुका होगा वो शख्स मेरे पड़ोस में मेरे शहर में हो सकता है आपके शहर या गांव में हो सकता है कोई लड़की हो सकती है कोई लड़का हो सकता है 20 साल का एक नौजवान हो सकता है या 35-40 साल का कोई आदमी हो सकता है हर एक घंटे में ऐसे खुदुकशी करने वालों में एक नया नाम जुड़ता जाता है आंकड़े बढ़ जाते हैं पहचान बदल जाती है लेकिन खुदकुशी की वजह इनमें कॉमन होती है भारत में हर घंटे एक आदमी बेरोज़गारी या पैसों की तंगाई या कर्ज़ में डूबने की वजह से आत्महत्या कर लेता है ये आंकड़ें हमें NCRB यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से मिलते हैं और NCRB के 2019 के आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 1 लाख 30 हज़ार लोगों ने आत्महत्याएं की इनमें से 11 हज़ार 268 यानी करीब 9 फीसदी आत्महत्याएं रोज़गार ना मिलने की वजह से या ग़रीबी या कर्ज़ में डूबने से हुई*_ _*और जब हम खुदकुशी के इन आंकड़ों पर गौर करते हैं किसानों की खुदकुशी के आंकड़े भी ज़ेहन में आते हैं 8-10 साल पहले किसानों की खुदकुशी के मामले हमारे डिस्कोर्स का हिस्सा थे किसानों की आत्महत्याएं कैसे कम हों इस पर चर्चा होती थी, उन सरकारी नीतियों उन कर्ज़ की व्यवस्थाओं की आलोचना होती थी जिनकी वजह किसानों को आत्महत्याएं करनी पड़ती थी अब किसानों से भी ज्यादा बड़ा आंकड़ा उन आत्महत्याओं का है जिनकी वजह नौकरी ना मिल पाना या ग़रीबी होती है ये आंकड़ा 2018 के मुकाबले ज़्यादा है बेरोज़गारी का आंकड़ा बढ़ता है बेरोज़गारी की वजह से खुदकुशियों का आंकड़ा बढ़ता है और बढ़ता है उन युवाओं का गुस्सा जिनके साथ नौकरी के नाम पर क्रूर सरकारी मज़ाक होता है चुनाव से पहले सरकारें नौकरियां निकालती हैं फॉर्म भरे जाते हैं देश के लाखों युवा सरकारी नौकरियों के वादे के पीछे तैयारी में रातों की नींद जलाते है और फिर परीक्षा के इंतजार में कई साल निकल जाते हैं अगर परीक्षा हो जाए तो नतीजे लटका दिए जाते हैं नतीजे भी आ जाएं तो जॉइनिंग देने में सरकार कई अड़गें लगा देती है और जो युवा शक्ति देश के सृजन में शामिल होने चाहिए थी उन्हें नौकरियों के लिए धरने प्रदर्शन करने पड़ते हैं सोशल मीडिया पर है शटैग चलाने पड़ते हैं अपनी बात कहने के लिए मीम बनाने पड़ते हैं सरकारें फिर भी नहीं सुनती और तब सवाल मन में आता है कि हमारी देश की हमारी सरकार की पहली और सबसे ज़रूरी प्राथमिकता क्या होनी चाहिए जवाब मिलता है प्रधानमंत्री के पांच साल पुराने बयान में*_ _*जब पीएम ने सवाल को अपवित्र बताया---*_ _*2014 में सरकार बनने के सालभर बाद भी पीएम मोदी ने देश के युवाओं को नौकरी देने के लिए एक विज़न रखा जिसकी बुनियाद इस बात पर थी कि हमारे पास युवा भी हैं और नौकरियां भी हैं दिक्कत बस इतनी सी है कि नौकरी से मिलाप का युवाओं में कौशल नहीं है इसलिए युवाओं के हुनर को तराशने के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना शुरू हुई इसके लिए एक मंत्रालय भी बनाया गया था और तब देश के पीएम ने युवाओं को सपने दिखाए थे*_ _*इस योजना में 2020 तक 1 करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग देने की योजना थी द हिंदू बिज़नेस लाइन अखबार की एक रपट के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले तक इस योजना के तहत सिर्फ 34 लाख युवाओं को कौशल मिला और उनमें से सिर्फ 10 लाख को नौकरियां मिली 2019 के चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री से बेरोज़गारी के बढ़ते आकंड़ों पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने सवाल को ही अपवित्र बता दिया*_ _*मोदी की दूसरी पारी में क्या चल रहा है?*_ _*मई 2019 से मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ इस बार मोदी सरकार ने डिस्कोर्स बदल दिया पहले कार्यकाल में युवाओं को अकुशल माना था स्किल इंडिया पर ज़ोर था दूसरे कार्यकाल में शिक्षा व्यवस्था में ही खामियां ढूंढ ली और पढ़ाई के बाद नहीं बढ़ाई के साथ ही कौशल देने यानी वॉकेशनल कोर्स शुरू करने की बात नई शिक्षा नीति में रखी गई है और इससे युवाओं का जीवन कैसे बदल जाएगा प्रधानमंत्री आजकल अलग अलग मौकों पर बताते रहते हैं*_ _*इस व्यवस्था का कितना फायदा होगा होगा या नहीं ये तो तब मालूम चलेगा जब इस नई व्यवस्था से छात्र गुज़रेंगे अभी पुरानी व्यवस्था की ही बात कर लेते हैं जो पढ़ाई करके रोज़गार मांग रहे हैं उनका क्या? प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं कि परीक्षा के तरीके में खामी हैं नई व्यवस्था लाई जाएगी*_ _*अब उन लाखों छात्रों की बात करते हैंजिन्हें नौकरी मांगने पर सरकार से किसी नई स्कीम की जानकारी पकड़ा दी जाती है 21 फरवरी 2021 को सोशल मीडिया पर एक बार फिर से रोजगार के मुद्दे पर युवाओं ने मोदी सरकार के खिलाफ अपनी नाराज़गी जाहिर की*_ _*#modi_rojgar_do और #बहानानहींबहाली_चाहिए ट्विटर से लेकर यूट्यूब तक ट्रेंड करता रहा दिन भर में करीब 25 लाख ट्वीट इन हैशटैग्स पर किए गए और वजह क्या है?*_ _*तत्कालिक वजह बना SSC CGL 2019 के Tier 2 का रिजल्ट ये Tier 2 परीक्षा क्या है और इसे लेकर छात्रों को क्या परेशानी है इस पर आएंगे लेकिन पहले SSC CGL के बारे में जान लेते हैं SSC यानी स्टाफ सेलेक्शन कमीशन SSC का काम होता है सरकारी विभागों के लिए भर्ती करना इसके लिए SSC तीन अहम एग्जाम कराती है पहला MTS यानी कि Multi Tasking Staff Examination ये एग्जाम अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों में ग्रेड-सी (नॉन-क्लर्क) की भर्ती के लिए होता है दूसरा CHSL यानी Combined Higher Secondary level Exam इससे केंद्र सरकार लोवर डिविजनल क्लर्क पोस्टल असिस्टेंट कोर्ट क्लर्क और डेटा इंट्री ऑपरेटर जैसे पदों के लिए भर्ती करती है*_ _*और तीसरा होता है CGL यानी Combined Graduate Level Examination इसके ज़रिए केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में बी और सी ग्रेड के अधिकारियों की भर्ती होती है ये परीक्षा चार चरणों में होती है टियर- 1 और 2 का एग्जाम ऑब्जेक्टिव होता है. टियर-3 डिस्क्रिप्टिव होता है इसमें निबंध और लेटर लिखना होता है टियर-4 कम्प्यूटर बेस्ड स्किल टेस्ट होता है तो हुआ ये कि CGL 2019 के Tier 2 की परीक्षा 15, 16 और 18 नवंबर 2020 को हुई थी रिजल्ट आया तीन दिन पहले 19 फरवरी को जैसे ही अभ्यर्थियों ने रिजल्ट देखा सोशल मीडिया पर कैम्पेन शुरू हो गया परीक्षा परिणामों का विरोध कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि 18 नवंबर का पेपर आसान था और छात्रों ने काफी अच्छा स्कोर किया था कइयों ने कुल 200 अंक की परीक्षा में पूरे अंक तक हासिल किए थे लेकिन जब रिजल्ट आया तो ऐसे कई छात्रों का सिलेक्शन नहीं हुआ जिन्होंने अच्छा स्कोर किया था छात्रों का आरोप है कि नॉर्मलाइजेशन के नाम पर 15, 16 को एग्जाम देने वालों के 60-70 नंबर बढ़ा दिए गए हैं जबकि 18 नवंबर को एग्जाम देने वालों के इतने ही नंबर घटा दिए गए हैं*_ _*SSC ने CGL 2020 का नोटिफिकेशन निकाला था भर्ती कुल 6506 पदों के लिए थी*_ _*मुद्दे क्या हैं?*_ _*यानी SSC का ये हाल है कि वो एक परीक्षा तीन दिन में कराती है लेकिन SSC के एक्सपर्ट्स तीनों पेपर्स का स्टैंडर्ड एक जैसा नहीं रख पाती और फिर SSC को भी कबूलना पड़ता है कि एक पेपर ज़रूरत से ज्यादा आसान हो गया था SSC के खिलाफ छात्रों का ये गुस्सा सिर्फ CGL 2019 एग्जाम को लेकर ही नहीं था कई वजहों में ये एक वजह थी इसके अलावा छात्रों की डिमांड लिस्ट में सीटें बढ़ाने फाइन एंड फेयर एग्जाम और वेटिंग लिस्ट जैसे मुद्दे भी शामिल है*_ _*19 फरवरी को SSC ने रिजल्ट जारी किया तीन दिन बीत चुके हैं तब से अब तक छात्रों के इतने बड़े कैम्पेन के बावजूद SSC की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है जब हमने SSC का पक्ष जानने के लिए कॉल किया तो चेयरमैन ऑफिस से जवाब मिला कि हेल्पलाइन नंबर पर बात करिए और हेल्पलाइन नंबर तो ऐसा कि वो लगता ही नहीं*_ _*ये तो बात हो गई CGL की SSC ने 2018 में एक भर्ती निकाली थी कॉन्स्टेबल जनरल ड्यूटी की बोलचाल की भाषा में इसे SSC GD 2018 कहा गया ये भर्ती पैरामिलिट्री फोर्सेज यानी CRPF, ITBP, BSF, CISF, NIA और असम राइफल्स में सिपाहियों के 54 हजार पदों पर भर्ती के लिए निकाली गई थी जिसे बाद में बढ़ाकर 60,210 पदों के लिए कर दिया गया भर्ती के तीन चरण होते हैं रिटन एग्जाम फिजिकल टेस्ट और मेडिकल टेस्ट अप्लिकेशन प्रोसेस स्टार्ट हुआ था जुलाई 2018 में तीनों टेस्ट पूरा होते-होते आ गया जनवरी 2021 21 सितंबर 2020 को लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में 111,093 पद खाली हैं SSC GD 2018 की भर्ती में करीब 85-90 हजार कैंडिडेट ऐसे थे जो तीनों स्टेज पास कर चुके थे और इनमें से काफी ऐसे भी लोग थे जिनका ये आखिरी मौका था यानी कि भर्ती प्रक्रिया पूरी होने में लेट-लतीफी के चलते ये ओवरएज हो गए थे और अगली भर्ती में इन्हें जगह न मिल पाती ऐसे में SSC GD 2018 के अभ्यर्थियों ने मांग की कि जब आपके पास तीनों परीक्षा पास करके 85-90 हजार कैंडिडेट पड़े हुए हैं और सीटें भी खाली ही हैं तो फिर सबको नियुक्ति क्यों नहीं दी जा सकती? लेकिन SSC ने अभ्यर्थियों की मांग को अनसुना कर दिया और करीब 54 हजार सीटों पर फाइनल मेरिट लिस्ट जारी की इसके अलावा दिल्ली पुलिस भर्ती और SSC CGL 2020 का फार्म भरने में हुई दिक्कतों की वजह से भी छात्रों ने SSC को निशाने पर लिया*_ _*अब रेलवे की तरफ चलते हैं---*_ _*रेलवे ने फरवरी 2019 में विज्ञापन निकाला नौकरियां ही नौकरियां NTPC यानी नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरीज में 35208 पोस्ट की वैकेंसी इसमें क्लर्क टिकट क्लर्क गुड्स गार्ड स्टेशन मास्टर जैसे पदों पर भर्ती होती है NTPC के लिए आवेदन करने वालों की संख्या 1 करोड़ 26 लाख के लगभग है जून और सितंबर 2019 के बीच इसकी परीक्षा आयोजित होनी थी फिलहाल 2021 का फरवरी भी लगभग जाने ही वाला है और NTPC के पहले स्टेज का एग्जाम अब तक पूरा नहीं हो सका है आपको याद होगा कि पिछले साल सितंबर में किस तरह से छात्रों ने बेरोजगारी के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया था उसका नतीजा ये हुआ था कि NTPC के एग्जाम की डेट RRB ने घोषित कर दी थी 28 दिसंबर 2020 से पहले स्टेज का कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट एग्जाम शुरू हुआ जो कि अभी भी चल ही रहा है इसके बाद दूसरे स्टेज का कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट होगा फिर मेडिकल और टाइपिंग टेस्ट इसके बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिर जाकर कहीं नियुक्ति मिलेगी NTPC के साथ ही रेलवे ने ग्रुप डी की भी भर्ती निकाली थी 1 लाख 3 हज़ार 769 पदों की भारी भरकम वैकेंसी 1 करोड़ 15 लाख के लगभग आवेदन आए थे सितंबर-अक्टूबर 2019 में एग्जाम का शेड्यूल था परीक्षा अप्रैल से जून 2021 में प्रस्तावित है यानी कि अब तक नहीं हुई है SSC और रेलवे ये केवल दो केंद्रीय संस्थानों की स्थिति है जिनसे युवाओं को सबसे ज्यादा नौकरी की आस होती है राज्यों की भर्ती आयोगों का हाल तो और भी खस्ता है*_ _*देश की प्राथमिकता युवाओं को रोज़गार देनी की अगर नहीं है तो भी अब होनी चाहिए प्रधानमंत्री देश की युवा शक्ति पर गर्व करते हैं अंतर्राष्ट्रीय मंचों से भी कई बात कह चुके हैं कि भारत की ताकत भारत के युवा हैं और ये ही युवा जब रोज़गार को लेकर अपने समस्या रखते हैं तो सरकार ध्यान नहीं देती*_ सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या का राज खुलने लगा है और शक की सुई गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेन्द्र मोदी के सबसे विश्वस्त सहयोगी रहे प्रफुल्ल पटेल की तरफ मुड़ गयी है,...... यह NCP वाले प्रफुल्ल पटेल नही है , यह है गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री 'प्रफुल्ल खोड़ा पटेल' जो इस वक्त दमन दीव दादरा नगर हवेली के प्रशासक के पद पर बैठे हुए हैं कल महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने यह बात कही है कि सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या के मामले में दादरा और नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल की भूमिका की जांच की जाएगी। देशमुख ने कहा कि सात बार सांसद रहे डेलकर ने अपने सुसाइड नोट में कुछ मुद्दे उठाए हैं। दादरा नगर हवेली के पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी आदि का नाम सुसाइड नोट में लिखा है खासतौर पर उन्होंने वहां के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के नाम का उल्लेख किया है। अब सब साफ समझ मे आ रहा है कि हमारा राष्ट्रीय मीडिया मोहन डेलकर की आत्महत्या की असली वजह जनता को बताने के बजाए क्यो उस पर कुंडली मार कर बैठ गया था क्योंकि अगर जनता यह जान जाए कि प्रफुल्ल पटेल की प्रशासक के पद पर किस प्रकार से गलत नियुक्ति की गई है तो ही तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाती है कि इस केस में क्या छुपाया जा रहा है... पहले यह जान लीजिए कि प्रफुल्ल खोड़ा पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री के कितने विश्वस्त सहयोगी रहे हैं...... आप को जानकर यह आश्चर्य होगा कि 2010 में जब गुजरात के गृहमंत्री अमित शाह को सीबीआई जांच के कारण इस्तीफा देना पड़ा तो उनकी जगह मोदी ने प्रफुल्ल पटेल को ही गुजरात में गृह राज्य मंत्री नियुक्त किया वे हिम्मतनगर के विधायक थे उन्हें ठीक वही पोर्टफोलियो भी आवंटित किए गए जिन विभागों को पूर्व मंत्री अमित शाह ने संभाला था,साफ है कि वह उस वक्त मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे पसंदीदा विधायक थे 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के पूर्व सदस्यों को तीन संघ शासित प्रदेशों में प्रशासक के रूप में नियुक्त किया यह संवेधानिक परम्परा का साफ साफ उल्लंघन था क्योंकि अब तक यह पद आईएएस अधिकारियों को दिया जाता है गृह मंत्रालय की वेबसाइट भी कहती है कि “दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली और लक्षद्वीप पर संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार IAS अधिकारियों के माध्यम से प्रशासित किया जाता है। जिन्हें प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया है, लेकिन मोदी सरकार ऐसी परम्परा को तोड़ने के लिए कुख्यात रही है दादरा नगर हवेली के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि किसी नेता को प्रशासक बनाया गया हो। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में दादरा नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने दादरा और नगर हवेली में नियुक्त आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन पर दबाव बनाने की कोशिश की..... इस मसले पर चुनाव आयोग को सामने आना पड़ा, चुनाव आयोग ने प्रशासक प्रफुल्ल खोदाभाई पटेल को निर्देश दिया था कि वह दादरा और नगर हवेली कलेक्टर कन्नन गोपीनाथन को जारी किए गए नोटिस को वापस ले लें, ताकि विभिन्न "आधिकारिक कार्यों" पर उनके निर्देशों का पालन न किया जा सके.....उसी वक्त से कन्नन गोपीनाथन बीजेपी की आँखों मे काँटे की तरह गड़ गए थे , गोपीनाथन ने दादरा नगर हवेली में निष्पक्ष रूप से चुनाव करवाए इसी चुनाव में मोहन डेलकर ने बीजेपी प्रत्याशी को जीत की हैट्रिक लगाने से रोका और जीत दर्ज की.....कन्नन को बाद में इस्तीफा देना पड़ा लेकिन इसके बाद से ही सांसद मोहन डेलकर भी उनके राडार पर आ गए आदिवासी सांसद मोहन डेलकर पर लगातार दबाब बनाया गया...... संसद के अपने भाषण में इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह से पिछले डेढ़ साल से उन पर दबाव बनाया जा रहा है और परेशान किया जा रहा है। दादरा नगर हवेली एक यूनियन टेरेटरी है जिसका यह भी इतिहास रहा है कि कोई आईएएस 3 वर्ष से अधिक प्रदेश में नहीं रहा है। किंतु प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को प्रदेश में साढ़े 3 साल से भी अधिक हो गए थे जुलाई 2020 में सांसद डेलकर ने वीडियो जारी कर संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली एवं दमण-दीव के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल पर आरोप लगाते हुए यहां तक कह डाला कि वे प्रशासनिक मनमर्जी के खिलाफ आगामी लोकसभा सत्र में अपना इस्तीफा सौंप देंगे। प्रशासक पटेल के निर्देश पर संघ प्रशासन उन्हें एवं उनके समर्थकों को तयशुदा टारगेट बना रहा है। प्रशासन उन पर आतंकवादी जैसी कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने संसद में भी अपनी व्यथा को प्रकट किया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई , सुनवाई होती भी कैसे ?.... जब प्रशासक प्रधानमंत्री के इतने विश्वस्त सहयोगी रहे हैं अन्ततः डेलकर इतने विवश हो गए कि आत्महत्या करनी पड़ी। शायद अब ईश्वर की अदालत में ही उनका न्याय होगा.......... - गिरिश मालविय Tags : international country power Prime Minister youth employment country priority