भारतीय डाक विभाग पर निजीकरण की तलवार Dinesh Bhaleray Thursday, July 4, 2019, 07:27 AM भारतीय डाक विभाग पर निजीकरण की तलवार केन्द्र सरकार का निशाना अब भारतीय डाक विभाग पर है। एक-एक करके सभी सरकारी तथा बडे़ उपक्रम जब निजीकरण के हत्थे चढ़ रहें हैं। सारे मनुवादी हावी होते जा रहा हैं। डाक विभाग 150 साल पुराना विभाग है। यह ब्रिटीश इण्डियन का उपक्रम था। तथा कथित आजादी में डाक विभाग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। डाक विभाग के नीति नियमन परिचालन में सरकार द्वारा हस्तक्षेप करने का षड़यंत्र का अभी खुलासा नहीं हो पाया है कि सरकार इस पर किस प्रकार की कार्यवाही करेगी। मगर सरकार ने इसके कार्यवाही पर निगाह रखना शुरू कर दी है। सरकार को अब शक होने लगा की सूचना प्रणाली में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाली डाक विभाग अब सरकार के लिए अड़चन क्यों कर रहा है। अगर अड़चन न हो तो पर्याप्त मात्रा में डाक विभाग से अच्छी कमाई हो सकती है। इस पर सरकार ने पुंजीवादी षड़यंत्र करना शुरू कर दिया हैं। जिसका नाम निजीकरण हैं। डाक विभाग को कमजोर करने के लिए सरकार के पूर्व ब्राह्मणवादी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने षडयंत्र शुरू किया था। प्रधान मंत्री अटल बिहारी ने डाक सेवा को नेस्तानाबूत करने और इनके प्रभाव को नष्ट करने के लिए प्राइवेट कंपनियों का निर्माण किया जिसका नाम ‘कोरियर’ है। पहले डाक विभाग तार सेवा जो सूचना तकनीक में सर्वाेच्च सेवा मानी जाती थी और लोगों में काफी प्रचलित थी। आज भी गांव देहात में लोग तार को ही याद करते है। उसकी प्रासंगिकता अटल बिहारी वाजपेयी ने खत्म की दिया। अब बचा-खुचा डाक विभाग दूसरे मनुवादीयों के निजी हाथों में देने में लगे हुए हैं। देश में अधिनियम है कि कोई निजी कंम्पनी डाक का नाम नहीं कर सकती। मगर मनुवादी सरकारी डाक विभाग को बंद करने के लिए छोटी-छोटी कम्पनियों को इस क्षेत्र में बढ़ावा दे रहे है। देश के सभी सार्वजनिक क्षेत्र की व्यवस्था को अब खत्म होने का संकेत आ चुका हैं। - दिनेश भालेराय Tags : dominant humanists privatization enterprises postal department Indian government central focus