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कमलापति की असली कहानी

Rajni Boudh

Wednesday, December 30, 2020, 10:23 AM
kamlapati

अब भोपाल जानेगा गिन्नौर के #गौंड_राजा निजाम शाह की रानी #कमलापति की असली कहानी

भोपाल-

छोटे तालाब पर निर्माणाधीन आर्च ब्रिज पर स्थापित होने वाली रानी कमलापति की प्रतिमा उद्घाटन के लिए तैयार है। प्रतिमा स्थापित करने के लिए उसी स्थान पर प्लेटफार्म बनाया गया है, जहां रानी ने #जल_समाधि ले ली थी। 2011 में बड़े तालाब पर राजा भोज की प्रतिमा के बाद अब रानी कमलापति की स्थापना का उद्देश्य भोपाल का नवाब काल से पहले के इतिहास से लोगों को रूबरू कराना है।

#मूर्ति_कैसे_बनीं -

17000 किलो की 32 फीट ऊंची प्रतिमा में 60 प्रतिशत तांबा, 20 प्रतिशत जस्ता, 10 प्रतिशत टीन, 5 प्रतिशत लैड और 5 प्रतिशत अन्य मैटल हैं। जिस स्थान पर रानी कमलापति ने जल समाधि ली थी उसी स्थान पर उनकी प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा। यहां उनका इतिहास भी दर्ज किया जाएगा।

पूरा प्रोजेक्ट 2.66 करोड़ का

छोटे तालाब पर बन रहे आर्च ब्रिज और रानी कमलापति महल के ठीक बीच में प्रतिमा की स्थापना की गई हैं। यहां पर छोटे तालाब की गहराई करीब 30 फीट है। पानी के अंदर ही 16 फीट डायमीटर का प्लेटफाॅर्म और भव्य सिंहासन तैयार किया गया है। यहां आकर्षक लाइटिंग की गई हैं । ग्वालियर में 17 हजार किलो की प्रतिमा बनकर तैयार हैं।

#इतिहास की बात...

छोटे तालाब में रानी ने ली थी #जलसमाधि

मुगल साम्राज्य के पतन के बाद चकला गिन्नौर के #गौंड_राजा निजाम शाह की रानी कमलापति थीं। निजाम की हत्या के बाद वह अपने बेटे नवलशाह के साथ भोपाल आ गईं। बताया जाता है कि दोस्त मोहम्मद खान रानी को हासिल करना चाहता था। लालघाटी पर रानी कमलापति के बेटे नवल शाह और खान का युद्ध हुआ। इसमें 16 वर्षीय नवल शाह शहीद हो गया। नवल शाह की मृत्यु की सूचना देने के लिए मनुआभान टेकरी से काला धुआं किया गया। इसके बाद कमलापति ने अपने महल से छोटे तालाब में #जलसमाधि ले ली, ताकि उन्हें कोई छू न पाए। 300 साल पहले बने सात मंजिला कमलापति महल का कुछ हिस्सा पानी में डूबा हुआ है। 1989 से यह महल भारतीय पुरातत्व संरक्षण के अधीन है।





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