अपनी बुद्धि से काम करो TPSG Tuesday, October 15, 2019, 09:14 AM दुनियां के कितने रोग आसमानी अल्लाह या ईश्वर का नाम लेते ही ठीक हो जाते हैं, यह तो मैं नहीं जानता; लेकिन एलेक्सजेंडर फ्लेमिंग के अविष्कार किये गये एक एंटीबायोटिक दवाएं खाने से हर मज़हब के लोग ठीक हो जाते हैं। हजारों हजार जन्मजात बीमारियां कलमा या रामायण पढ़ने से विलुप्त नहीं हुई, बल्कि एडवर्ड जेनर के टीकाकरण विधि ढूंढने से विलुप्त हो गयीं, जिस बुर्राक या उड़न खटोले पर बैठ रसूल या भगवान ही आसमान में घूम सकते थे, उस आसमान की सैर को आम आदमी तक पहुंचाने वाली थ्योरी राईट ब्रदर्स की थी, कोई धर्म शास्त्रों की नहीं थी। थामस अल्वा एडिसन ने कभी किसी खुदा या भगवान को नहीं माना और दुनियां के हर मजहब के मानने वालों के घरों को रोशन कर दिया, लोगों की जिंदगी से अंधेरे को विदा कर दिया। दुनियां आज खुदा या भगवान की पावर पर नहीं, बल्कि जेम्स क्लार्क मेक्सवैल के पावर यानी इलेक्ट्रीसिटी से दौड़ रही है। इसलिए आँखों को खोल लो और बंद दिमाग भी, क्योंकि कोई ईश्वर नहीं आएगा तुम्हारा भला करने। यही मनुष्य ही तुम्हारा अपना है, तुम किसी और अल्लग, गॉड और भगवन के चक्कर में क्यों पड़े हो? पृथ्वी के जीव और जंतु ही तुम्हारे सखा, बन्धु और जीवन का आधार है, उनके जीवन से उतना ही लो, जितना ज़रूरी है। पेड़, जंगल, चिड़ियाँ, नदी, पहाड़, मिटटी, जमीन, सूरज आदि सिर्फ तुम्हारा ही नहीं है, बल्कि सभी जीवों का। इसलिए इसे सबमें बांटकर, अपनी जरूरतों के लिए उपभोग करो। इसके लिए अपनी इच्छाओं को अनियंत्रित मत बढ़ाओ, और न ही धन कमाने के लिए पृथ्वी और इसके प्रकृति संसाधनो का नाश करो। भगवान की जगह खुद में, इन्सान में, जीव और जगत में विश्वास करो। इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए तर्क, विज्ञान, स्वतंत्र चिंतन और सबसे बढ़कर प्रेम तथा जीव मात्र के प्रति करुणा की भावना रखो। अतः आंखें खोल कर अपनी बुद्धि से काम करो, मंन्दिर मस्जिद की तरफ नहीं, स्कूल की तरफ बढ़ो। – शेषनाथ वर्णवाल Tags : compassion science logic better world humans yourself