imagesimagesimagesimages
Home >> ओशीन इनबॉक्स >> व्यंग्यात्मक आपातकालीन बैठक (हास्य-व्यंग्य)

व्यंग्यात्मक आपातकालीन बैठक (हास्य-व्यंग्य)

Sudhir Kumar Jatav

Sunday, May 5, 2019, 04:01 PM
Dev baithak

व्यंग्यात्मक आपातकालीन बैठक (हास्य-व्यंग्य)
देवलोक में आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी। सभी देवलोकवासी हैरान परेशान थे। दीपावली के एक दिन बाद अचानक ये, आपातकालीन बैठक क्यो बुलाई गयी हैं? सभी देवतागण सभा के निर्धारित समय पर सभा में पहुॅच चूके थे। देवताओं के राजा इंद्र के आसन ग्रहण करने के बाद सभा के संचालक नारद मुनि ने माइक संभाला और बोलना शुरू किया। दीपावली के इस मौके पर आपको यूॅ अचानक बुलाना पड़ा इसके लिए खेद है लेकिन विषय ही ऐसा है कि आप सभी को कष्ट देना ही पड़ा। इस सभा को बुलाने का कारण यह हैं जैसा कि आप जानते हैं। दीपावली के अवसर पर पृथ्वीलोकवासी देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं और उनको अपने घर निवास करने के लिए बुलाते है। कल रात भी लक्ष्मी पृथ्वीलोक पर निवास करने ही गयी थी लेकिन अभी तक वापिस नही आयी है जिससे देवलोक मे कंगाली आने का संकट हो गया है।’’ नारद की बात बीच में ही काटते ही पवन ने कहा’’ ऐसा  कैसे हो सकता हैं कि लक्ष्मी के जाने से देवलोक में कंगाली कैसे आ सकती हैं?’’ उसको चुप कराते हुए उसके अग्नि देव ने बताया कि ’जब लक्ष्मी ही यहाॅं नही रहेगी तो फिर कंगाली तो आयेगी ही।’’ पवन ने कहा’’ लेकिन मैं तो देखता हूॅं भारत वर्ष के लोग रोजाना सुबह शाम लक्ष्मी की पूजा करते है और दीपावली पर विशेष तौर पर फिर भी वहाॅ के लोग भीख मांगते फिरते हैं। उन पर लक्ष्मी अपनी कृपा क्यों नही करती है जबकी वो भी पूरी श्रध्दा से लक्ष्मी को पूजते है?’’ अग्नि ने कहा’’ मुर्ख हो तुम लगता हैं तुम्हारी बुध्दि पर भी पर्दा पड़ गया या फिर तुमने देवी सरस्वती को प्रसन्न नही किया है तभी ऐसी बहकी-बहकी बाते कर रहें हो?’’ पवन ने कहा’’ चुप करो बुध्दि पर तो तुम्हारी पर्दा पड़ा हुआ है ये सरस्वती को भारत से बाहर कोई भी नही पूजता है तब भी अन्य देशों के वैज्ञानिकों ने तमाम आविष्कार और खोज कर डाली जबकि भारतवासी अभी तक बाबा जी का ठल्लू पकडे़ हुए है जबकि भारतवासी रोज स्कूल, कालेज, में या किसी भी कार्यक्रम की शुरूआत करने से पहले सरस्वती वंदना करते है।’’ अब तक चुप बैठे कुवेर ने भी विद्रोह की आवाज बुलंद करते हुए कहा’’ ये सारे लोग लक्ष्मी के पीछे पड़े हुए है इसके पीछे क्या कारण है। मुझको लगता है अवश्य ही दाल मे कुछ काला है वर्ना धन का देवता तो मैं भी हूॅ वर्ना लक्ष्मी के जाने के बाद मुझको आमंत्रित करना चाहिए था लेकिन इन्होने आज तो क्या इससे पहले भी कभी मुझको नही पूजा। भारतवर्ष के लोगो ने भी लक्ष्मी को ही पूजा है और मेरे साथ इस तरह का व्यवहार किया है जैसे मै कोई अछूत हूं इसलिए मैं आज से इस देवलोक का और भारतवर्ष का बहिष्कार करता हॅू’’। इतना कहते ही कुबेर ने तुरंत देवलोक को छोड़कर अमेरिका में अपना ठिकाना बना लिया है। शायद आज उसको बिल गेट्स के नाम से जाना जाता है। मामले को बढ़ता देखकर ब्रह्मा ने खांस कर गला साफ करते हुए कहा’’ हम यहाॅ पर आपस मे लड़ने नही आये है बल्कि हम देवी लक्ष्मी का पता लगाने के लिए इकट्ठे हुए है। अगर हम यूॅ ही लड़ते रहे तो हम देवी लक्ष्मी का कभी पता नही लगा पाएंगे और हमारे भूखो मरने की नौबत आ जएगी इसलिए अपने मतभेदो को भुलकर हमको ये सोचना चाहिए कि हम देवी लक्ष्मी को कैसे वापिस ला सकते है?’’ ब्रह्मा की बात पर सभी देवता सहमत हो गए तो इंद्र ने कहा’’ दीपावली पूजन पर देवी लक्ष्मी के साथ गणेश जाता है इसलिए गणेश से चलकर पूछताछ करनी चाहिए वो सभा में भी नही आया है। ’’इंद्र की बात से सभी देवताओं ने सहमती जताई और सभी मिलकर गणेश के पास पहुंचे। वहाॅ पहुंचकर देखा तो गणेश बहुत ही गहरी नींद में सोया पड़ा था। सभी देवताओं ने मिलकर गणेश को जगाया और लक्ष्मी के बारे में पूछा। गणेश ने इधर उधर देखते हुए पुछा मैं यहाॅ कैसे पहुॅचा? सभी देवताओं ने कहा’’ आप यहाॅ कैसे पहुंचे ये बाद की बात है पहले ये बताओ लक्ष्मी कहाॅ ? ’’गणेश ने जबरदस्ती आँखे खोलते हुए कहा’’ लक्ष्मी और में साथ ही पृथ्वी की यात्रा पर निकले थे लक्ष्मी अपने उल्लू पर थी और मै अपने मुषक पर। जब हम भारत वर्ष के नजदीक पहुंचे ही थे कि लक्ष्मी के उल्लू को भूख लगी और उसने मरे मुषक पर हमला कर दिया और उसको अपना निवाला बना लिया। अब मै पैदल हो गया तो लक्ष्मी ने भी पैदल चलना शुरू कर दिया। जब हम पैदल चलते चलते थक गए तो हमने एक जगह रूककर आराम करने का निर्णय लिया। पैदल चलने की थकान के कारण हमें नींद आ गयी। जब हम सो रहे थे तो एक तांत्रिक आया और लक्ष्मी के उल्लू को पकड़कर ने गया तंत्र क्रिया के लिए। अब हमारे पास वापिस आने के लिए कोई साधन नही था। पैदल चलने के कारण मुझको काफी तेज भूख लगी हुई थी। मुझको एक घर से लड्डूओं को खाना शुरू किया तो मुझको अजीब सा सुरूर होने लगा और मुझको नींद आ गयाी। शायद लड्डूओं में भांग मिली हुई थी। उसके बाद क्या हुआ मुझको नही पता ’’सभी देवताओं ने पूछा तुम यहाॅ कैसे पहुॅचे? गणेश जी ने बताया ’’जब मुझको होश आया तो मेरे पास वापिस आने के लिए कोई साधन नही था। इतने में ही मुझको नंदी का एक वंषज आता हुआ दिखाई दिया तो मैने उसको उसके पूर्वजो के द्वारा की गयी सेवा को याद दिलाया तो वो मुझको यहाॅ तक छोड़ दिया’’ अब सभी देवताओं ने निर्णय लिया कि चूॅकि लक्ष्मी गणेश के साथ से गायब हुई है इसलिए भोलेनाथ को लक्ष्मी की खोज में भेजा जाये। जब भोलेनाथ पृथ्वी पर पहुंचे तो उनके गलें में लिपटें हुए सांपो को देखकर वन्य विभाग की टीम ने वन्य जीव क्रूरता अधिनियम के तहत और नशीले पदार्थ रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। कारागृह में भोलेनाथ की मिली यातनाओं को देखकर अन्य किसी भी देवता की लक्ष्मी को खोजने जाने की हिम्मत नही हुई और तभी से देवता कंगाल होने की वजह से पृथ्वीवासी द्वारा दिया खाते है।
- सुधीर कुमार जाटव

 





Tags : speak assembly governor Lord Indra time Diwali disbelievers Devlok emergency