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क्रॉस और स्वस्तिक

Pratap Chatse

Tuesday, May 16, 2023, 10:04 AM
swastik

क्रॉस (Cross) और स्वस्तिक यह दोनों बुद्ध के प्रतीक है|

बौद्ध परंपरा में तथागत बुद्ध को बोधिवृक्ष के रूप में दिखाया गया है और बोधिवृक्ष का आकार अंग्रेजी T की तरह होता है जिसे ग्रीक भाषा में ताऊ (Tau) कहते हैं| ग्रीक ताऊ (Tau) को जीवनवृक्ष (Tree of Life) तथा ज्ञानवृक्ष (Tree of Knowledge) कहते हैं| प्राचीन भारतीय बौद्ध परंपरा में वटवृक्ष को बुद्ध का जीवनवृक्ष (Tree of Life) कहा जाता है क्योंकि इसी अजपाल वटवृक्ष के नीचे सुजाता और उसकी नौ नंदगोपा (गवली) सहेलियों ने बुद्ध को खिर खिलाई थी| उसके बाद बुद्ध पिपल वृक्ष के नीचे ध्यानस्थ बैठे और ज्ञान प्राप्त किया था इसलिए पिपल वृक्ष को ज्ञानवृक्ष (Tree of Knowledge) कहा जाता है|

इन दोनों बौद्ध प्रतीकों को ग्रीक ताऊ (Tau) अर्थात क्रॉस के रूप में दिखाया जाता है| जीवनवृक्ष और ज्ञानवृक्ष दोनों बुद्ध के प्रतीक है और उन दोनों से बना क्रॉस (Cross) तथा स्वस्तिक भी बुद्ध के प्रतीक है|

बुद्ध के ज्ञानमार्ग को उलटे स्वस्तिक के रूप में दिखाया जाता है, जो प्रवाह (सामान्य जीवन) के उलटा चलने का मार्ग है| इसलिए खिर खाने के बाद बुद्ध का भिक्षापात्र निरंजना नदी (ज्ञान नदी) में उलटा बहने लगा था| अरहतपद के मार्ग पर आरंभ करने को स्रोतागामि कहते हैं, उसके बाद अनागामि और अंत में अरहतपद मिलता है| इस अरहतपद का मार्ग उलटे स्वस्तिक की तरह होता है जिसमें बोधिसत्व पुरब दिशा से आरंभ कर अंत में स्वस्तिक के केंद्र में आकर बुद्धत्व प्राप्त करता है| इसलिए, उलटा स्वस्तिक बुद्ध, बोधिसत्व तथा अरहतों का प्रतीक है|

सुलटा स्वस्तिक सामान्य बौद्ध अनुयायीओं का प्रतीक है जिसमें बुद्ध अनुयायी पुरब की दिशा में खड़े होकर उस स्वस्तिक के केंद्र में पहुंचता है और बुद्ध, बोधिसत्व तथा अरहतों की पुजा करता है|

अर्थात, क्रॉस की तरह स्वस्तिक भी प्राचीन बौद्ध प्रतीक है| इसमें सिधा क्रॉस तथा उलटा स्वस्तिक बुद्ध के प्रतीक है और उलटा क्रॉस तथा सिधा स्वस्तिक बौद्ध श्रावक (सामान्य अनुयायी) का प्रतीक है|

-डॉ. प्रताप चाटसे, बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क





Tags : Greek language Tathagat Buddha Buddhist tradition