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ककड़ी

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Monday, June 24, 2019, 08:26 PM
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ककड़ी
    उल्टी, जलन, थकान, प्यास, रक्तविकार, मधुमेह में ककड़ी फायदेमंद है। ककड़ी के अत्यधिक सेवन से अजीर्ण होने की शंका रहती है, परन्तु भोजन के साथ ककड़ी का सेवन करने से अजीर्ण का शमन होता है। ककड़ी की ही प्रजाति खीरा भी है। ककड़ी मेें खीरे की अपेक्षा जल की मात्रा ज्यादा पायी जाती है। ककड़ी के बीजों का भी चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है।
यहां है लाभदायक-
    ककड़ी ग्रीष्म ऋतु में उपलब्ध होती है। ककड़ी का प्रयोग कच्ची अवस्था में ही किया जाता हैं कच्ची ककड़ी मेें आयोडीन पाया जाता है। ककड़ी स्वास्थ्यवर्धक, मधुर, मूत्रकारक, वातकारक, स्वादिष्ट तथा पित्त का शमन करने वाली होती है।
-    ककड़ी का रस निकालकर मुंह, हाथ व पैर पर लेप करने से वे फटते नहीं है तथा मुख सौंदर्य की वृद्धि होती है।
-    ककड़ी काटकर खाने या ककड़ी व प्याज का रस मिलाकर पिलाने से शराब का नशा उतर जाता है। बेहोशी में ककड़ी काटकर सुंघाने से बेहोशी दूर होती है।
-    ककड़ी के बीजों को ठंडाई में पीसकर पीने से ग्रीष्म ऋतु में गर्मी जन्य विकारों से छुटकारा प्राप्त होता है।
-    ककड़ी की मिंगी का सेवन करने से श्वेत प्रदर रोग में लाभ हो सकता है।
-    ककड़ी के बीज पानी के साथ पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की त्वचा स्वस्थ व चमकदार होती है।
-    ककड़ी के रस में शक्कर या मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेशाब की रूकावट दूर होती है।
-    ककड़ी की मिंगी मिश्री के साथ घोंटकर पिलाने से पथरी रोग में पथरी रोग में लाभ पहुंचता है।
-    ककड़ी खाने से पायरिया रोग में आराम मिलता है।
-    इसका सेवन त्वचा निकनी बनाता है, मुंहासे पर रोक लगाता है और इसका रस चेहरे पर लगाने से दाग धब्बे दूर होते है।
-    ककड़ी में सल्फर और सिलिकान अधिक मात्रा में पाया जाता है अतः यह केश वर्द्धक भी है।





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