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इमली

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Monday, June 24, 2019, 08:33 PM
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इमली
    भारत में सभी गांवों में खूब ऊंचे, हरे-भरे फली से लदे झाड़ नजर आते हैं, जो 70-80 फुट तक ऊंचे रहते है। चारों ओर इसकी टहनियां होती है। इसके पत्ते हरे, छोटे और संयुक्त प्रकार के होते है। ये पत्ते खाने में खट्टे होते है। इसके पत्ते और फूल एक ही समय में आते हैं, इनसे झाड़ों की रौनक और भी बढ़ जाती है। इसका झाड़ लंबी अवधि का दीर्घायु होता है। इसके सभी भागों का औषधि के रूप में उपयोग होता है।
    इमली का फल कच्चा हरा, पकने के बाद लाल रंग का हो जाता है। पकी इमली का स्वाद खट्टा-मीठा होता है। इसे खाने के बाद दांत तक खट्टे होने लगते है। एक इमली के फल में तीन से लेकर दस बीज निकलते है। ये बीज काले, चमकदार व बहुत कड़े होते है। पकी इमली का प्रयोग खट्टी सब्जी के लिए करते है। इसकी चटनी भी बनाते है। इससे सब्जी स्वादिष्ट बन जाती है। एक साल पुरानी इमली के गुण अधिक होते है। कच्ची तथा नई पकी इमली कम गुणकारी होती है। कच्छी इमली खट्टी, भारी व वायुनाशक होती है। पकी इमली एसिडिटी कम करने वाली, कांस्टीपेशन दूर करने वाली, गर्म तासीर वाली, कफ तथा वायुनाशक प्रकृति की होती है। सूत्री इमली हृदय के लिए हितकारी तथा हल्की तारीर की मानी जाती है। इससे थकान, भ्रम-ग्लानि दूर हो जाती है। इमली पित्तनाशक है, इमली के पत्ते सूजन दूर करने वाले गुणों से भरपूर होते है। इमली की तासीर ठंडी होती है। इसे कम प्रमाण में ही सेवन करने का फायदा होता है।
इमली के औषधीय गुण -
-    इमली को पानी में भिगोकर, मलकर उसका जूस निकालकर, छानकर शक्कर डालकर पीने से उष्माघात में आराम मिलता है।
-    इमली का शर्बत रात में पीने से कांस्टीपेशन-मलावरोध दूर हो जाता है तथा सबेरे पीने से पित्त प्रकोप दूर हो जाता है।
-    इमली की ठंडे पानी में भिगोकर जूस निकालकर शक्कर डालकर पीने से या शर्बत में लौंग, काली मिर्च डालकर पीने से अरूचि तथा पित्त प्रकोप दूर हो जाते है। इसे पीने से उल्टी तक रूक जाती है। इसकी छाल का रस पीने से भी उल्टी बंद हो जाती है। एसिडिटी की उल्टी भी इससे ठीक हो जाती है।
-    इमली के बीज को भूनकर, पीसकर शहद में तथा घी में मिलाकर लेने से खांसी, जिसमें बलगम रक्त मिश्रित हो, ठीक हो जाती है।
-    इमली के झाड़ की छाल का चूर्ण या इसकी छाल जलाकर राख को गर्म पानी में मिलाकर पीने से चमक तक दूर हो जाती है।
-    इमली के ऊपर के छिलके की राख गीले नारियल के पानी में सुबह-शाम पांच दिन तक पीने से मधुमेह तक ठीक हो जाता है। इसके बीज को भूनकर पाउडर खाने से भी इसमें फायदा होता है।
-    10-12 बीजों को पानी में भिगोकर उसके अंदर का सफेद भाग दूध के साथ रोज सबेरे पीने से बार-बार पेशाब लगना कम हो जाता है। शरीर बलवान बनता है।
-    इमली के पत्तों का रस शक्कर के साथ पीने से डायरिया तक ठीक होता है।
-    इमली के झाड़ की छाल का पाउडर ताजा दही में सुबह-शाम खाने से दिन-दिन में डिसेंट्री तक ठीक हो जाती है, इसकी छाल का चूर्ण गाय के दूध की ताजा दही के साथ खाने से पाइल्स तक ठीक हो जाती है। इसके फूलों का रस भी पाइल्स को ठीक करने में सक्षम माना जाता है।
-    इमली के पानी में नमक डालकर पीने से कान्स्टीपेशन दूर हो जाता है।
-    इमली और आंवला के पत्ते पीसकर लेप लगाने से मुकामार का दर्द भी ठीक हो जाता है।
-    इसके पत्तों में सेंधा नमक डालकर पीसकर लेप लगाने से संधिवात की सूजन ठीक हो जाती है, जोड़ों का दर्द भी कम होता है।
-    इमली के बीज का पाउडर व हल्दी पाउडर मिलाकर ठंडे पानी के साथ लेने से वायरल विषाणु से होने वाले रोग नहीं होते।
-    इमली के पत्तों का लेप त्वचा का दाह दूर कर देने में सक्षम होता है।
-    शरीर की दुर्गन्ध और खूब पसीना आने की शिकायत इससे दूर होती है।
-    बीज और इमली के फूल को पीसकर यह मिश्रण शरीर पर लगाने से, इमली का पानी पीने से भांग का नशा तक दूर हो जाता है।
-    भूंजे इमली के बीज को इतना घिसे कि उसके अंदर का सफेद भाग दिखने लगे, इसे बिच्छु के डंक के स्थान पर चिपका दें। उसका विष तक खींच लेने में यह सक्षम माना जाता है।
-    इमली संधिवात किडनी के विकास में हानिकारक है, परन्तु इसके पत्ते सूजन कम कर देने में सक्षम माने जाते है।





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