डाॅ. बाबासाहेब आम्बेडकर का संदेश आदेश Pratima Ramesh Meshram Sunday, June 2, 2019, 08:55 AM मेरे प्रिय भाई और बहनों - मैं जिस समाज के उत्थान हेतु जिस रास्ते से जा रहा हॅू, वो रास्ता बड़ा ही कठिन है, बिहडो व घनघोर अधेंरो का है, जिस पर कोसो दूर तक जरा भी चिराग की रोशनी दिखाई नहीं देती। इस काँटो भरी राहों से चलकर मुझे अपने कंधो पर दुःखित पिड़ित बेसहारा, लाचार, कमजोर, अज्ञानी तथा छुआछुत के छत तले दबे हुए करोड़ो मानवों का बोझ ढ़ोके चलना है। उनके दुर्बल शरीर में शक्ति निर्माण कर उनको अछुतो के कीचड भरे नालों से बाहर निकालकर उन्हे अज्ञानता के अंधकार मय दासता से गुलामी के जंजीरों से मुक्त करना है। इसमें मुझे जो भी कष्ट सहना पड़े मैं उसे सहूंगा और निसन्देह आगे बढुंगा। इस भंयकर दुःखदायक मार्ग को पार करने में मुझे आपका सहारा चाहिए। मुझ पर विश्वास रखों। जो जिस दुःखित समाज में पैदा हुआ हो और आगे बढ़ा हो उसका परम कर्तव्य यह होता है कि उसने उन दुःखित समाज के लिये कार्य करना। उन्हें सहारा देना और आगे बढ़ना सामाजिक रूढ़िया और गुलामी इससे मनुष्य कभी भी मुक्त हो सकता है। परंतु दिमागी गुलामी और ईश्वर पर भरोसा रखने वाला व्यक्ति आसानी से बंधन मुक्त नहीं हो सकता है। मुझे हिन्दू धर्म के रूढ़िवादी गुलामी में पड़े सैकड़ो वर्षो से छुआछुत और असमानता के खाई में पडे करोडो मानवों को उससे निकाल कर बुद्ध के करूणामयी समानता और शांतिवादी बुद्धिवादी सद्धम्म में लाकर उनका सर्वांगिक विकास करना है। आशा है आप सभी मुझ पर विश्वास रखेगें, मेरे साथ आयेगें और - बुद्ध धम्म के सद्धम्म को अपनायेगें। आप बुद्ध होने पर आपका परम कर्तव्य यह होता है कि आप हिन्दू के मन्दिरों में नहीं जायेगे, और ना ही उनकी देवी देवताओं की पूजा अर्चना करेंगे। बौद्ध होने पर तुम्हारे ऊपर बडी जिम्मेदारी आयेगी उसे तुम अवश्य निभाओगे। बौद्ध होने पर यहां के गैर बौद्ध तुम्हारे ऊपर जुल्म अत्याचार करेेगें, तो उनकी आवाज पडोसी देशो के बुद्धवासी सुनेगें और तुम्हारी पुकार सुनकर वो तुम्हारी मदद अवश्य करेगें। मैनें तुम्हारा रिश्ता उनके साथ जोड़ दिया है। बुद्ध का धम्म, संस्कृति यह भारत की प्राचीन सत्य संस्कृति है। इसे संजोये रखना इसका प्रचार और प्रसार करना आपका परम कर्तव्य है। मनुष्य ने केवल पेट के पुजारी ही नहीं बनना चाहिए। मैने उस अंधेरे में चिराग जलाया, जहाॅ आज तक किसी ने जाने की हिम्मत तक नहीं की। भारत में आज भी ब्राह्मणवाद, चतुरवर्णवाद, दैववाद, पुरोहितवाद, ईश्वरवाद, अवतारवाद, दैविकवाद, आत्मावाद, मोक्षवाद, चमत्कारवाद, भाग्यवाद, नाजीवाद, फासीवाद, और गांधीवाद आदि वाद है ये सभी कुपमडुकवाद है। इससे मनुष्य का विकास नहीं हो सकता। इसलिये बुद्ध के तर्क संगत, न्याय संगत और बुद्धि संगत मार्ग पर चलकर अपना तथा अपने साथियों का सम्पूर्ण विकास करो। मैनें आपको जात-पात के अज्ञानतावादी अंधेरे से मुक्त होने के लिए ‘‘बौद्ध धम्म दिक्षा’’ की बाईस प्रतिज्ञा दी है। उनका पालन करो सभी का कल्याण होगा। भवतु संब्ब मंगल। (ये बाबासाहब आम्बेडकर के भाषण के कुछ अंश है) आयु प्रतिमा रमेश मेश्राम पाण्ढूर्णा जिला छिन्दवाडा मो. नं. 9575431051 Tags : person forward society