विचार TPSG Monday, March 27, 2023, 09:16 AM खजुराहो के पास घंटाई में प्राचीन बौद्ध स्तुप को तोडकर जैनों ने 10 वी सदीं में उसके उपर मंदिर बनाया| (Downfall of Buddhism in India, Verardi, 2011, p. 300) -डॉ. प्रताप चाटसे भगवान को छोड़ते ही ब्राह्मण मूर्तियों को छोड़ देंगे! क्योंकि उन्हें भगवान की नहीं बल्कि बहुजनों के पैसे की जरूरत है!! -डॉ. प्रताप चाटसे रिटायरमेंट के बाद ब्राहमण सीधे आरएसएस ज्वाइन करता है और शुद्र राधा-स्वामी सत्संग दोनो तरफ से ब्राहमणवाद जारी है. -डॉ. प्रताप चाटसे ओडिशा के लिंगराज मंदिर में चैत्र शुक्ल अष्टमी को वहाँ के अशोक स्तंभ की स्थापना के याद में रथयात्रा निकाली जाती है, जो अशोक के कलिंगविजय का प्रतीक है| -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN अफगानिस्तान के बामियान का राजा तथागत बुद्ध के वंश का शाक्यवंशी बौद्ध राजा था, जिसका पुत्र सन 550 में "जिनगुप्त" नामक बौद्ध भिक्खु बन गया था| (E. Chavannes, Jinagupta, Vol. VI, 1905, p. 336) -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN विश्वप्रसिद्ध इतिहास संशोधक आल्फ हिल्टबिटल बताते हैं कि, "जरासंध" मतलब बौद्ध धर्म का "संसारचक्र या भावचक्र" है और जरासंध की दो पुत्रियाँ "अस्ति और प्राप्ति" सर्वास्तिवादी बौद्ध धर्म के दो तत्व है| (Alf Hiltebeitel) -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN जिस तेजी से लोग ब्राह्मण धर्म को छोड़कर अपने मूल धम्म में घर वापसी कर रहे हैं,जल्द ही भविष्य में ब्राह्मण ही ब्राह्मणों को कथा,प्रवचन सुनाएंगे,एक दूसरे से दक्षिणा लेंगे और अपना पेट पालेंगे -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN बौद्ध क्षत्रिय (व्रात्य क्षत्रिय) बौद्ध धर्म की दिक्षा लेते समय धम्म की प्रतिज्ञा लेते थे जिसे महाभारत में "व्रात्य बंध" कहा है| व्रात्य बंध का प्रतीक सफेद धागा बौद्ध क्षत्रिय अपनी कलाईयों पर बांधते थे| (Heesterman, 1963, p. 32) -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN सनातन धर्म अनुसार किसी शव को सूर्यास्त के बाद नही जलाते बराबर..? फिर होलिका को आधी रात में जलाने के पीछे क्या प्रयोजन है ..? कुछ तो गड़बड़ है - नरेन्द्र शेंडे गोरक्षनाथ वज्रयानी बौद्ध था और उसका वज्रयानी नाम रमनवज्र था| नाथपंथी बौद्ध बनने पर उसे गोरक्षनाथ कहने लगे| (Modern Buddhism in Orissa, N. N. Vasu, p. 9) -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN बौद्ध भिक्खु अपने साथ लाठी रखते थे, जिसे "खख्खरक" कहा जाता था| (Indian Esoteric Buddhism, p. 178) खख्खरक शब्द से ही खहरक, खहरत, खरात, क्षहरत, क्षहत्रप, क्षत्रप, क्षेत्रपति, क्षेत्रिय जैसे बौद्ध शब्द बने हैं| -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN तथागत बुद्ध को प्राचीन खरोष्ठी भाषा में "योद (Yod)" कहा जाता था, जिससे "यदु, जदु, यादव, जाधव" जैसे शब्द बने हैं| "जदु, जाटव, यदु, यादव" मतलब "बुद्ध के अनुयायी लोग" होता है| अर्थात, यादव प्राचीन बौद्ध लोग है| -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN इतिहास में बुद्ध के साथ बड़ा धोखा हुआ है| झोराष्ट्रीयन, यहुदी, क्रिश्चन, जैसे सभी धर्म बौद्ध धर्म से बने हैं, लेकिन बुद्ध को बायपास कर इन धर्मों ने खुद को अत्यंत प्राचीन दिखाया| वेद और पुराणों ने जो किया, वहीं इन धर्मों ने किया| -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN बौद्ध विहारों को जो जमीनों के दान दिए जाते थे, उन जमीनों को चीनी भाषा में फेंग (Feng) और अरबी भाषा में "वक्फ" (Waqf) कहा जाता था| (Buddhism in Chinese society, Garnet, 1995, p. 67-68) -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN वेदों में जो स्तूप का विवरण है, रामायण में जो चैत्यों का विवरण है, आखिर वे किस सभ्यता के प्रतीक हैं, जबकि माना जाता है कि बौद्ध सभ्यता से वैदिक सभ्यता प्राचीन है। - राजेन्द्र प्रसाद सिंह तथागत बुद्ध के पहले पंचवर्गीय भिक्खु सभी शाक्यवंशी थे और महानामा के मित्र थे| इससे स्पष्ट होता है कि, वो ब्राह्मण नहीं थे| -डॉ. प्रताप चाटसे, BIN Tags : Buddhist stupa century