विदेशी TPSG Saturday, September 2, 2023, 02:17 PM ब्राह्मण विदेशी हैं : ---------------------- प्रमाण- 1. ऋग्वेद में श्लोक 10 में लिखा है; कि हम (वैदिक ब्राह्मण) उत्तर ध्रुव से आए हुए लोग हैं। जब आर्य व् अनार्यो का युद्ध हुआ। 2. The Arctic Home At The Vedas बालगंगाधर तिलक (ब्राह्मण) के द्वारा लिखी पुस्तक में मानते है; कि- 'हम बाहर से आए हुए लोग हैं।' 3. जवाहर लाल नेहरु (बाबर के वंशज फिर कश्मीरी पंडित बने) ने उनकी किताब Discovery of India में लिखा है; कि- 'हम मध्य एशिया से आए हुए लोग हैं। यह बात कभी भूलना नहीं चाहिए।' ऐसे 30 पत्र इंदिरा जी को लिखे; जब वो होस्टल में पढ़ रही थी। 4. वोल्गा टू गंगा में 'राहुल सांस्कृत्यायन' (केदारनाथ पाण्डेय, पूर्व ब्राहम्ण) ने लिखा है; कि- 'हम बाहर से आए हुए लोग हैं और यह भी बताया; कि- 'वोल्गा से गंगा तट (भारत) कैसे आए?' 5. विनायक सावरकर (ब्राम्हण) ने 'सहा सोनरी पाने' इस मराठी किताब में लिखा; कि- 'हम भारत के बाहर से आए लोग हैं।' 6. इक़बाल (कश्मीरी पंडित) ने भी; जिसने 'सारे जहाँ से अच्छा' गीत लिखा था; कि- 'हम बाहर से आए हुए लोग हैं।' 7. राजा राम मोहन राय ने इग्लेंड में जाकर अपने भाषणों में बोला था; कि- 'आज मैं मेरी पितृ भूमि; यानि अपने घर वापस आया हूँ।' 8. मोहन दास कर्मचन्द गाँधी (वैश्य) ने 1894 में दक्षिणी अफ्रीका की विधान सभा में लिखे एक पत्र के अनुसार- 'हम भारतीय होने के साथ-साथ युरेशियन हैं। हमारी नस्ल एक ही है; इसलिए अँग्रेज शासक से अच्छे बर्ताव की अपेक्षा रखते हैं।' 9. 'ब्रह्म समाज' के नेता सुब चन्द्र सेन ने 1877 में कलकत्ता की एक सभा में कहा था; कि- 'अंग्रेज़ों के आने से हम सदियों से बिछड़े चचेरे भाईयों का (आर्य ब्रह्मण और अंग्रेज ) पुनर्मिलन हुआ है।' इस सन्दर्भ में- अमेरिका के Salt lake City स्थित युताहा विश्वविद्यालय (University of Utaha’ USA) के मानव वंश विभाग के वैज्ञानिक 'माईकल बमशाद' और आंध्र प्रदेश के विश्व विद्यापीठ, विशाखा पट्टनम के Anthropology विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा सयुक्त तरीकों से 1995 से 2001 तक लगातार 6 साल तक भारत के विविध जाति-धर्मों और विदेशी देश के लोगों के खून पर किए गए DNA के परिक्षण से एक रिपोर्ट तैयार की; जिसमें बताया गया; कि- 'भारत देश की ब्राह्मण जाति के लोगों का DNA 99:96 %, क्षत्रीय जाति के लोगों का DNA 99.88% और वेश्य-बनिया जाति के लोगों का DNA 99:86% मध्य यूरेशिया के पास जो “काला सागर Black Sea” है। वहाँ के लोगों से मिलता है।' इस रिपोर्ट से यह निष्कर्ष निकालता है- कि- 'ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य-बनिया' विदेशी लोग हैं और एस सी, एस टी और ओबीसी में बँटे लोग (कुल 6743 जातियाँ) और भारत के धर्म परिवर्तित मुसलमान, सिख, बौद्ध, ईसाई आदि धर्मों के लोगों का DNA आपस में मिलता है।' जिससे साबित होता है; कि एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्म परिवर्तित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। इससे यह भी पता चलता है; कि एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्म परिवर्तित लोग एक ही वंश के लोग हैं। एस सी, एस टी, ओबीसी और धर्म परिवर्तित लोगों को आपस में जाति के आधार पर बाँटकर ब्राह्मणों ने सभी मूलनिवासियों पर झूठी धार्मिक गुलामी थोप रखी है। 1900 के शुरुआत से आर्य समाज ब्राह्मण 3% ब्राह्मण, 85% मूलनिवासी भारतीयों पर पिछ्ले कई सालों से राज करते आ रहे हैं। सन्दर्भ : उपरोक्तानुसार। साभार : G Bharti प्रस्तुति : Kehar Singh Jyotirmay Tags : DNA