राजनीती में आरक्षण Sudhir Kumar Jatav Tuesday, April 30, 2019, 04:52 PM राजनीती में आरक्षण राजनीती में आरक्षण हमारे किसी काम का नहीं है। जो भी हमारे प्रतिनिधि इन आरक्षित सीटो पर चुने जाते हैं, वो सिर्फ एक मुखौटा मात्र होते हैं। जिस आरक्षण से वो जीत कर जाते हैं उसी आरक्षण का विरोध करते हैं। आरक्षण सम्बन्धी बिल फाड़ने वाले भी ये ही लोग होते हैं। सदन के बाहर और भीतर भी आरक्षण के खिलाफ आग उगलते हैं। मौका मिलने पर फिर उसी आरक्षण के सहारे राजनीती चमकाने के लिए आरक्षित सीट चुनते हैं। इसके साथ ही मुझको लगता है कि आरक्षित सीटो का लाभ लेने के अनारक्षित वर्ग के लोग इस वर्ग की महिलाओ का इस्तेमाल करते हैं। जब अनुसूचित जाति की महिला किसी अन्य उच्च वर्ग की जाति में शादी करती है तो उसकी जाति वही मानी जाती है जो उसके पिता की जाति होती है। अनुसूचित जाति की ऐसी महिलाये अपने ससुराल के रीती रिवाजो को अपनाती हैं। उनकी सोच भी ससुराल के अनुसार हो जाती हैं। उनके ससुराल वाले अपनी राजनीती बनाये रखने के लिए ऐसी महिलाओ को इस्तेमाल करते हैं और उनका प्रभाव होने के कारण वो जीत भी जाती हैं। ऐसी महिलाएं भी क्या उस समाज की समस्या उठा सकती है जिस समाज के आरक्षण से जीतकर वो संसद और विधानसभा पहुँचती हैं ? - सुधीर कुमार जाटव Tags : house win elected representatives work politics Reservation