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राम मंदिर निर्माण निषेध का कारण

Vijay boudh

Monday, March 22, 2021, 04:33 PM
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निषेध करने के निम्न लिखित कारण है।

1 :- मुगल काल में ब्राह्मणों ने मुगलों की मदद करके बुद्ध भूमि पर मस्जिद बनाई गई। इस काम में ब्राह्मणों ने मुगलों की मदद की और इसकी वजह बौद्धों के साथ ब्राह्मणों का बड़ा शत्रुत्व था। इस वजह से ब्राह्मणों ने इसकी मदद की।

2 :- मुगल आक्रमकारी थे और विदेशी थे, ब्राह्मण भी विदेशी और आक्रमणकारी थे। यह बात इस घटना से सिद्ध होती है।

3 :- वहाँ पर बौद्ध स्तूप, बौद्ध विहार और बड़ा संघाराम था। इसे पुरातत्व विभाग के द्वारा प्रमाणित किया गया था और सिद्ध किया गया था। आज मुगल और मुसलमानों का ब्राह्मण विरोध करने का भास निर्माण कर रहे हैं। उसका कारण अनपढ़, अशिक्षित, अजागृत, एससी-एसटी, ओबीसी का इस्तेमाल करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। और यह इस्तेमाल राजनीतिक उद्धेश्य के लिए कर रहे हैं।

4 :- जब राम मंदिर बनाने का, ट्रस्ट बनाने का समय आया तो उस ट्रस्ट में एससी, एसटी, ओबीसी के एक भी सदस्य को नहीं लिया गया। यह इसका सबूत है कि ब्राह्मण अपने मकसद के लिए एससी, एसटी, ओबीसी का इस्तेमाल करना चाहते थे।

5 :- वह भूमि राम जन्म भूमि नहीं है, वह बौद्ध भूमि है। बुद्ध का वहां पर स्तूप है, विहार है, संघाराम है ऐसा पुरातत्व विभाग ने अपने रिपोर्ट में लिखा है।

6 :- वहाँ पर राम से संबंधित एक भी सबूत नहीं मिला या पुरातत्व को राम मंदिर से संबंधित एक भी सबूत नहीं मिला। राम की एक भी वस्तु नहीं मिली। इतना ही नहीं, ब्राह्मणों को बाबरी मस्जिद में राम लला की मूर्ति रखने के लिए राम लला की मूर्ति गोरखपुर से लानी पड़ी। और प्रशासन के मदत से उसे वहां पर रख दिया। यह इस बात का सबूत है कि तथाकथित अयोध्या में राम का एक भी पुरातत्वीय अवशेष नहीं मिला।

7 :- इलाहाबाद के हाईकोर्ट के आदेश पर बाबरी मस्जिद के नीचे पुरातत्व विभाग ने जो खुदाई की उसमें जो पुरातत्वीय वास्तुएं मिली उसकी जो लिस्ट पुरातत्व ने दी है, जिसके हमारे पास सबूत है। उससे सिद्ध होता है कि वह वास्तुएं पुरातत्वीय थी और बौद्धों की है। और मौर्य काल में बनाई गई थी, यह बात पुरातत्वीक वास्तुओं की लिस्ट से सिद्ध किया जा सकता है।

8 :- राम जन्म भूमि का आंदोलन जो आरएसएस के द्वारा शुरू किया गया था वह राम मंदिर बनाने के लिए नहीं शुरू किया गया था। एससी, एसटी, ओबीसी का या खासतौर पर ओबीसी को मंडल कमीशन ना लागू हो सके और ओबीसी के लोग मंडल कमीशन के आंदोलन में शामिल ना हो सके और ओबीसी का मंडल कमीशन का आंदोलन कमजोर किया जा सके और ओबीसी को आरक्षण लागू ना हो सके, इस मकसद के लिए राम जन्म भूमि का आंदोलन था।

9 :- इसी आंदोलन के वजह से ब्राह्मण ओबीसी के आरक्षण को प्रभावहीन करने के लिए क्रीमीलेयर लगाने में कामयाब हो गये और ब्राह्मणों का ओबीसी के विरोध का षडयंत्र सफल हुआ।

10 :- आज ओबीसी का आरक्षण 30 साल में केवल मात्र 5.4 प्रतिशत लागू हुआ और यह धोखाधड़ी करने में ब्राह्मण कामयाब हो गये। उसकी वजह राम मंदिर का आंदोलन था और ब्राह्मण ओबीसी को मुसलमानों के विरोध में भड़कानें में कामयाब हो गए और ओबीसी का विरोध में इस्तेमाल करने के लिए भी कामयाब हो गए।

11 :- आज ओबीसी को व्यवसायिक शिक्षा जिसमें मेडिकल, इंजीनियरिंग, वकालत, व्यवस्थापन अर्थात समग्र व्यवसायिक शिक्षा में हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है। और इसके बदले में उसको राम मंदिर का झूनझूना थमाया जा रहा है। यह ब्राह्मणों की बड़ी धोखेबाजी है।

12 :- उपरोक्त कारण की वजह से हम इसका विरोध करते हैं और भी कई कारण है।

13 :- यह बुद्ध भूमि पर ब्राह्मणों का अतिक्रमण है, इसलिए हम इसका विरोध करते हैं।

14 :- जैसे मुगलों को दूसरों की भूमि पर मस्जिद बनाने का अधिकार नहीं था, ऐसा ब्राह्मण कहते थे तो ब्राह्मणों को भी बुद्ध भूमि पर राम मंदिर बनाने का अधिकार नहीं है, ऐसा हम मानते हैं।

15 :- इस भूमि पर राम मंदिर ना बनाकर, राम मंदिर बनाने के लिए दूसरी जगह पर राम मंदिर बनाने का ब्राह्मणों को अधिकार है, ऐसा हम मानते हैं। जब मुगल मुसलमानों को 5 एकड़ जमीन दी जा सकती है तो राम मंदिर को भी दी जा सकती है।

16 :- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय किसी सबूत के आधार पर नहीं दिया गया, बल्कि आस्था के आधार पर दिया गया निर्णय है, इसे हम नहीं मानते हैं।

17 :- बौद्धों की सुनवाई नहीं की गई, विनित मौर्या की कोर्ट में केस थी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने का वादा भी किया था मगर बाद में असंवैधानिक तरीके से उस केस को सुनवाई में नहीं रखा गया। अगर सुनवाई की गई होती तो सारे पुरातत्वीय सबूत होने की वजह से आस्था के आधार पर केस टिक नहीं सकता था। इसलिए केस की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया और संविधान का उलंघन किया और न्याय निर्णय का गला घोंटा।

18 :- सम्राट बृहद्रथ मौर्य की हत्या करने के बाद अयोध्या साकेत में वजूद में आई। उसके पहले उसका नाम साकेत ही था अयोध्या नहीं। रामायाण में राम की राजधानी का नाम अयोध्या है और इतिहास में पुष्यमित्र शुंग के राजधानी का नाम अयोध्या है।

19 :- पुष्यमित्र शुंग की राजधानी का नाम अयोध्या है, ऐसा इतिहास कहता है. इससे सिद्ध होता है कि राम काल्पनिक व्यक्ति थे अर्थात राम का वास्तविक नाम पुष्यमित्र शुंग है, जिसने सम्राट बृहद्रथ मौर्य की हत्या की थी।

20 :- शुद्र (ओबीसी) ब्राह्मण धर्म के अनुसार, ओबीसी ही शुद्र वर्ण के लोग हैं। शेड्यूल कास्ट के लोग अछूत लोग हैं जो वर्ण व्यवस्था के बाहर के लोग हैं। रामायाण में राम ने शुद्र शम्भुक अर्थात आज के ओबीसी के पूर्वज की हत्या की है, ऐसा बताया गया है तो राम ओबीसी के आराध्य दैवत कैसे हो सकते हैं?

21 :- जब भारत में लॉकडाउन घोषित किया और देश के समस्त लोगों को घर के बाहर निकलने पर पाबंदी लगाई, ऐसे गुप्त समय में समतलीकरण का काम किया, ऐसा बौद्ध स्तूप खत्म (Destroy) करने के लिए किया गया। अपराध हमेशा छुपकर किया जाता है।

22 :- उपरोक्त कारणों की वजह से हम 5 अगस्त को बुद्ध भूमि पर ब्राह्मणों के द्वारा अतिक्रमण करने के लिए ब्राह्मणों का निषेध करते हैं और समस्त देशभर के एससी, एसटी, ओबीसी के तमाम संगठनों को इस निषेध में शामिल होने के लिए अनुरोध करते हैं।

23 :- सुनने और पढ़ने वाले लोग इनमें कारणों की बढ़ोत्तरी कर सकते हैं, जो कारण सबूतों के आधार पर लिखे गए हों, ऐसे कारणों को इसमें शामिल किया जा सकता है।

बुद्ध भूमि पर ब्राह्मणों के द्वारा अतिक्रमण करने के विरोध में देशव्यापी काली फीत, काली पट्टी या अपने घर पर काला झंडा लगाकर दि. 29 जुलाई से 5 अगस्त 2020 तक निषेध आंदोलन किया गया था।

- विजय बौद्ध





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