भगवान बुद्ध का मार्ग, सुख-समृद्धि का मार्ग Kisan Bothey Friday, June 21, 2019, 10:30 PM भगवान बुद्ध का मार्ग, सुख-समृद्धि का मार्ग अंधकार जीवन की समस्या और प्रकाश उसका समाधान है, क्योकि कोई कार्य तब तक कठिन है जब तक हम उसे सरल करने का साहस नही दिखाते। सफलता प्राप्त करने में 1 प्रतिशत प्रेरणा और 99 प्रतिशत हमारी मेहनत होती है। तथागत बुद्ध ने अपने प्राण त्यागने से पहले अन्तिम शब्द अपने प्रिय आनन्द से कहे थे कि आनन्द अब मै तुम्हे कहता हूं कि यह संसार नाश्वान है। अप्रसाद के साथ जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करो ऐसा करने पर हम चिन्तन, विचार और ज्योहार की दृष्टि से एक आधुनिक शीलप्रद समाज की मजबूत आधारशिला रख सकते है। पंचशील आर्य आष्टांगिक मार्ग एंव चार आर्यसत्य इस आधारशिला में, ईट, पत्थर, सीमेन्ट, गारा आदि का कार्य करेगें। जैसे निष्पाप सेवा से जो आंतरिक सुख और संतोष मिलता है, परम आनन्द कहते है। निष्पाप सेवा का आनन्द परम आनन्द है, उत्तम आनन्द है। मानव अकसर विष भोग में सुख का भय पाल कर हृदय का करूणा को नष्ट कर डालता है। महत्वकांक्षाये उसकी बुद्धि को अंधकार की ओर ले जाती है, जो मनुष्य सभी प्राणियों की सेवा मे लग जाते है वही परंम अनुभूति को प्राप्त करते है और उनके जीवन का अंधकार दूर हो जाता है। भगवान बुद्ध के समस्त उपदेशों एंव सिद्धान्तो का ध्यनपूर्वक अध्ययन किया जाते तो निष्कर्ष निकलता है कि उनके सभी उपदेशों और सिद्धान्तो में मार्गदर्शन का स्वरूप ही प्रकट होता है। उपासकों के लिये पंचशील, भिक्खुओ के लिये अष्टशील और आष्टांगिक मार्ग में जिन भौतिक एंव मानवीय मूल्यों के लिये दिशा निर्देश दिये गये है उन सभी की भाषा मार्गदर्शन की है। मुक्ति एंव मोक्षदाता की नही। इतना ही नही बल्कि सम्पूर्ण धम्म पद की गाथायंे सूत्र निपात के, महामगल सूत्र, परामवसूत्र, धम्मसूत्र आदि से यह प्रमाधित होता है कि बुद्ध विश्व के सर्वश्रेष्ठ मार्गदाता थे। आज का विकसित ज्ञान-विज्ञान भी इस बात को प्रमाणित करता है। मन, कर्म और वचन मनुष्य की नैतिकता के आधार है, फिर भी मनुष्य के मन के अन्दर अनेक विकृतियां पनप जाती है। जैसे- चोरी करना, झूठ बोलना, सदकर्म के प्रति उदासीन रहना, असंगठन, विद्रोह, हिंसा करना, फूट डालना, कुड़ना, क्रोध करना, लालच करना, असक्ति, अहंकार, शंका, बारम्बार आश्वासन देना, धोखा, उपहास, ताना कसना, कटुवचन बोलना, ऊंच-नीच, की भावना है तो मन की विक्रतियां हे। ज्ञान, धर्म, रूप, कुटुम्ब, पद, जाति आदि के प्रति विकृत मन को अहंकार कहा गया है। छल, कपट, प्रपंच भी मन की विकृतियां है, उद्दण्डता, अस्वच्छावरा, अस्वच्छपोशक, अशिष्टिता, अभोज्य पदार्थो का सेवन आदि भी परिपव्क मन की विकृतियां है। इन पर संयम करने से यह विकृतियां मन पर कोई प्रीव नही डालती। संसार में वे ही लोग जिन्दा कहलाते है, जो परिश्रमी, उद्दमी है। संकल्प और प्रज्ञावाम है। उनमें अनन्त धैर्य होता है। शीलों का अनुशरण करते है हमारे दैनिक में एक बहाना शब्द जुड़ा रहता है, जो मनुष्य के आर्थिक तंत्र को मकजोर करता है। आलस अथवा बहानेवाजों की संख्या 6 है जिसे हम निम्र प्रकार से समझ सकते है। यदि कोई काम न करना हो तो 6 प्रकार से बहाने बनाकर टाल सकते है। 1. आज बहुत ठण्ड है, ठण्ड में काम नही होगा। 2. आज बहुत गर्मी है, गर्मी में काम नही होगा। 3. अभी बहुत रात है, सुबह सुबह होगा देखा जायेगा। 4. अब शाम हो गई है, अंधेरा बढ़ता जा रहा है। 5. बहुत जोर की भूख लगी है, पहले भोजन फिर काम। 6. अब मैने भरपेट भोजन खा लिया है, अब आराम।कर लिया जाये। अतः जीवन स्पी धागे का छोर अक्षक प्रयास व ढूंढने से मिलता है, आलस अथवा जल्दबाजी से नही। बल्कि प्रज्ञापूर्व सजग होकर इसे पाया, खाजा जा सकता है। जो सच्चे ध्यान से एक बार प्राप्त हुआ तो हर बार वह मार्ग आसानी से प्राप्त होता रहता है। मन का स्थिर न हो नाम मन का भटकाना हमारा इन आलसपूर्व जीवन से छुटकारा नही हो सकता है। भगवान बुद्ध उपदेशों देते है कि हे उपासकों मन भी एक मात्र है, एक बर्तन के समान है। यदि यह मन रूपी बर्तन अपवित्र है तो इसमें उत्पन्न होने वाले विचार भी अपवित्र होगे। मलिन बना देते है और मनुष्य के पीछे-पीछे दुख इस प्रकार चलता है जैसे बैलों के पांव के पीछे-पीछे बैलगाड़ी के पहिये अनुगामी होते है। अर्थात:- सभी पापों का न करना तथा कुशल कर्मो को करना चित्त को नित्य संकल्पो से स्वच्छ, निर्मल करते रहना यही भगवान बुद्ध का उपदेश है। अतः कहा जा सकता है कि भगवान बुद्ध ही एक ऐसा मार्ग है जिसका अनुशरण करने से ही आज के संसार में हिंसा, आतंक, गरीबी, भुखमरी और युद्ध की विभिष्का से त्रस्त मानव एंव मानवता के अस्तिव को बचाया जा सकता है। वैशाख पूर्णिमा की शीतल चांदनी में प्रकाशित एक ऐसा धम्म है जो मनुष्य को तृष्ण के अंधेरे से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाने के साथ उसे दुखों से मुक्त कर उसके लिये सुख और समृद्धि के द्वार खोलता है। - किशन बोथे Tags : simplify difficult solution problem Darkness