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कैमूर की पहाड़ी में अशोक की विरासत

Pratap Chatse

Sunday, September 29, 2024, 01:55 PM
Kemur

कैमूर। ¨वध्य पर्वत श्रृखंला की कैमूर पहाड़ी में सहस्त्राब्दियों की विरासत दबी है। बस जरूरत है इसे उकेरने की। पहाड़ी के तलहटी और राज्य के सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के सटे हिस्सों में #महान_अशोक ने अपनी सरलता का परिचय दिया था। सादगी इस कदर की पहाड़ी की एक संकरी कंदरा (गुफा) के चट्टान पर रात गुजारी। #अशोक_महान के धम्म प्रचार की यह 256 वीं रात थी। बकायदे इसके साक्ष्य भी मिले हैं। हजारों साल से पत्थरों के बीच गुफा में दबे शिलालेख की खोज वर्ष 2009 में हुई।

कैमूर के चांद प्रक्षेत्र के बेचिरागी मौजा बसहा में यह 'मुरमुरिया' गुफा के नाम से जाना जाता है। जानकारों का कहना है कि महान अशोक के रात्रि विश्राम के बाद यह गुफा 'मोरिय मठ' के नाम से विख्यात हुई। बाद में मठमुरिया और अब अपभ्रंस होकर मुरमुरिया कहा जाता है।

इतिहासकारों का मानना है कि महान अशोक का काल 270 ईसा पूर्व से 230 ई.पू. तक रहा है। बसहा के मुरमुरिया शिलालेख भी अशोक कालीन "#धम्म_लिपी" में है और भाषा "#प्राकृत" है। इस शिलालेख की विशेषता यह है कि गुफा में दबे होने के चलते उत्कीर्ण अक्षरों का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। इससे समकालीन अन्य विरासतों को पढ़ने समझने में सहुलियत होगी





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