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शोध प्रबंध

Narendra Shende
narendra.895@rediffmail.com
Tuesday, September 21, 2021, 07:41 AM
Research ministry

डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर ने अपने पसंदीदा प्रो.सेलिग्मॅन

को लिखा हुआ एक पत्र यहाँ दिया जा रहा है।

1917 में विदेश से भारत लौटते समय डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर के थीसिस (शोध प्रबंध) की मूल प्रति गुम हो गयी थी। इस समय वे हताश नहीं हुए। उन्होंने एक नया विषय The Stabilization of the Indian Exchange लेकर अपना शोध प्रबंध लिखा और उसे PhD के लिए स्वीकार किया जाये, इस आशय का सविनय पत्र प्रो. सेलिग्मॅन को लिखा। इसका अर्थ बाबासाहेब को दो शोध प्रबंध लिखने पड़े। संभवतया एक PhD के लिए दो शोध प्रबंध लिखने वाले वे एकमात्र स्काॅलर रहे हैं।

इस पत्र से बाबासाहेब कितने सशक्त शोधकर्ता थे इसका परिचय मिलता है। "शोध प्रबंध के लिए चुना हुआ विषय अत्यंत ज्वलंत है और मैंने इसे न्याय देने का प्रयास किया है "ऐसा ठोस आत्मविश्वास वे अपने गुरूवर के समक्ष प्रकट करते हैं।

आज इंटरनेट के माध्यम से हर कोई घर बैठे दुनिया भर के ग्रंथ संदर्भ खोज सकता है। अपने मार्गदर्शक से चाहें जब संपर्क कर सकता है। लेकिन बाबासाहेब के समय केवल ग्रंथालय और ग्रंथालय की पुस्तकें ही शोध के लिए साधन सामग्री हुआ करती थीं। मार्गदर्शक से संपर्क करने के लिए केवल पत्र -व्यवहार ही एक माध्यम हुआ करता था। किसी भी तरह की मुफीद सुविधाएं न होते हुए भी उन्होंने इस शोधकार्य को पूर्ण किया। केवल इसे पूरा ही नहीं किया बल्कि अपने मार्गदर्शक के संपर्क में रहते हुए शोध प्रबंध को प्रकाशित करने के लिए प्रयत्नशील भी रहे।

प्रो. सेलिग्मॅन भी अपने प्रिय विद्यार्थी के शोधवृत्ति का आत्मीयता से सम्मान करते हुए उन्हें यथेष्ठ सहयोग देते हैं ।

-------------------------------- Arvind Bharade

@ अरविंद भराडे

हिंदी रुपांतरण : RG





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