बाबा का ओबीसी से रिश्ता Kisan Bothey Tuesday, June 25, 2019, 12:03 PM बाबा का ओबीसी से रिश्ता ‘‘डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर और ओबीसी का रिश्ता ?’’ इस देश में ओबीसी का ‘संवैधानिक जन्मदाता’ और ‘संवैधानिक रखवाला’ कोई और नहीं बल्कि ‘‘डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर’’ ही है! सबूत - 1928 में बाम्बे प्रान्त के गर्वनर ने ‘स्टार्ट’ नाम के एक अधिकारी की अध्यक्षता में पिछड़ी जातियों के लिए एक कमेटी नियुक्त की थी। इस कमेटी में डाॅ. बाबासाहेब आम्बेडकर ने ही शुद्र वर्ण से जुड़ी जातियों के लिए "Other Backward cast" शब्द का उपयोग सबसे प्रथम किया था, इसी शब्द का शोर्टफाॅर्म ओबीसी है, जिसको सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई जाति के रूप में आज हम पहचानते है, और उनको पिछड़ी जाति या ओबीसी कहते है। स्टार्ट कमेटी के समक्ष अपनी बात रखते हुये, डाॅ. बाबासाहेब आम्बेडकर ने देश की जनसंख्या को तीन भाग में बांटा था, (1) अपरकास्ट (Upercast) जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय-राजपूत और वैश्य जैसी उच्च वर्ण जातियां आती थी। (2) बेकवर्ड (Backward cast) जिसमें सबसे पिछड़ी और अछूत बनायी गई जातियां और आदिवासी समुदाय की जातियां को समाविष्ट की गई थी। (3) जो जातियां बेकवर्ड कास्ट और अपर कास्ट के बीच में आती थी ऐसी शुद्र वर्ण की मानी गई जातियों के लिये "Other Backward cast" शब्द का प्रयोग किया गया था, जिसको शोर्टफाॅर्म में हम ओबीसी कहते है। बाबासाहेब ने ही संविधान की 340 धारा में ओबीसी को पहचान उनकी गिनती कर उनको उनकी संख्या के अनुपात में जातिगत आरक्षण का प्रांवधान किया, क्यों की उस समय तक ओबीसी की जातियोें की लिस्ट ही नहीं बनी थी। बाबासाहेब ने ही ओबीसी के संवैधानिक 340 कालम को लागू करवाने का दबाव, ब्राह्मणी कांगे्रस पर डाला, पर ब्राह्मणी कांग्रेस का ब्राह्मण प्रधानमंत्री नेहरू तैयार नहीं हुआ इसीलिए बाबासाहेब ने अपने कैबिनेट मंत्री पद और ब्राह्मणी कांगे्रस दोनों से इस्तीफा दे डाला ओबीसी के लिए कैबिनेट स्टार का मंत्रिपद को छोड़ देने वाला भारत का एक मात्र नेता ‘‘बाबासाहेब आंबेडकर’’ ही है, पर यह बात आज तक ओबीसी से ब्राह्मणों ने छुपाई बाबासाहेब की दबाव के कारण ही बाद में ब्राह्मण नेहरू ने ब्राह्मण जाति के काका कालेलकर को ओबीसी की जातियों को पहचानने के लिए कमिशन बनाया। संविधान की कलम 340 के अनुसार राष्ट्रपति एक कमीशन नियुक्त करेगें और कमीशन ओबीसी जातियों की पहचान करके उनके विकास के लिये जो सिफारिशों करेगा उनको अमल में लायेगे, संविधान की कलम 15-(4) और, 16(4) के अनुसार ओबीसी जातियों के सरकारी तन्त्र में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए सरकार उचित कदम उठायेगी। शासन और प्रशासन में प्रभुत्व जमाये बैठे ब्राह्मणी जातिवादीयों ने ‘‘ओबीसी’’ के लिए नियुक्त काका कालेलकर (ब्राह्मण जात का) कमीशन रिपोर्ट 1953-1995 के रिर्पोट को संसद की समक्ष भी नही रखा और कालेलकर कमीशन रिपोर्ट कभी भी मान्यता नही दी या लागू भी नही किया। 1978 में केन्द्र सरकार ने ओबीसी के लिये दूसरा कमीशन बीपी मण्डल की अध्यक्षता में नियुक्त किया। मण्डल कमीशन रिर्पोट-1980 को भी सत्ता में प्रभुत्व जमाये बैठे जातिवादियों ने लागू करने की जरूरत न समझी और 1989 तक मण्डल रिर्पोट सचिवालय की अलमारी में धूल खाते रहा। 7 अगस्त 1990 के दिन केन्द्र सरकार ने देश के 52 प्रतिशत ओबीसी समुदाय के लिये मण्डल कमीशन की सिफारिश अनुसार केन्द्रीय नौकरियों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने की घोषणा की, जिसके विरोध में ब्राह्मणो ने देश भर में मण्डल विरोधी आंदोलन प्रारंभ किया। मण्डल कमीशन की दूसरी सिफारिश शिक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण देरी से 2006-07 में लागू किया गया। Tags : same country Constitutional relationship