बंद एवम् प्रदर्शन की पार्श्वभूमी और उद्देश्य Sumedh Ramteke Friday, January 31, 2020, 11:19 AM बंद एवम् प्रदर्शन की पार्श्वभूमी और उद्देश्य : • भारत सरकार द्वारा पारित किए गए Citizenship Amendment Act 2019 (CAA), National Register of Citizens (NRC) और National Population Register (NPR) यह कानून संविधान के आर्टिकल 14, 15, 19 और 21 द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते है, तथा संविधान द्वारा दिए गए नागरिकता अधिकारों का भी उल्लंघन करते है. यह कानून गैर संवैधानिक है जिससे भारत का लोकतंत्र खतरे में आने की संभावना है. इस कानून द्वारा सरकार फिर से भारत देश का विभाजन और संविधान को प्रभावहीन करना का चाहती है ऐसा हमारा मानना है. • इस देश के लोकतंत्र को बचाने के हेतु तथा संविधान की सुरक्षा और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का उपयोग करके संविधान के दायरे में रहकर शांतिपूर्ण तरीके से इस बंद का आयोजन किया गया है. प्रदर्शनकारियों के लिए महत्वपूर्ण सूचनाएं: 1) ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्रदर्शनकारी इस बंद में शामिल हो. 2) कानून और संविधान के दायरे में रहकर शांतिपूर्ण तरीके से बंद में शामिल होना है. 3) सामान्य जनता को शांतिपूर्ण तरीके से बंद का उद्देश् समझाना है और उन्हें विनंती पूर्वक बंद का आव्हान करना है. 4) किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती या हिंसा का सहारा नहीं लेना है. 5) किसी भी तरह से राष्ट्र की संपत्ति का नुकसान नहीं करना है. 6) अगर कोई कार्यकर्ता या अनजान व्यक्ति राष्ट्र की संपत्ति का नुकसान करने का प्रयास करता है, तो प्रदर्शनकारियों ने खुद पहल करके उस कार्यकर्ता या उस व्यक्ति को पुलिस के हवाले करना है. 7) स्कूल, हस्पताल और न्यायालयीन परिसर में घोषणा बाजी ना कीजिए. 8) अत्यावश्यक सेवा जैसे दूध, एंबुलेंस, स्कूल की बसेस इनका रास्ता ना रोकिए. 9) बंद के दौरान किए गए प्रदर्शनों का एवं सभी घटनाओं का पूर्ण रूप से मोबाइल वीडियो और रिकॉर्डिंग द्वारा रिकॉर्डिंग करते रहिए. 10) किसी भी पुलिस कर्मचारियों से बहस ना कीजिए उनको शांतिपूर्ण तरीके से बंद का उद्देश्य एवं हेतु समझाइए और ना मानने पर उनसे गुजारिश कीजिए कि आप हमारे वकील तथा कानूनी सलाहकार से बात कीजिए, और उन्हें संबंधित वकील का मोबाइल नंबर दीजिए. 11) अगर कोई पुलिस अधिकारी आपको प्रदर्शन के स्थल से कहीं और पूछताछ के नाम से ले जाने की कोशिश करें तो उनसे नम्रपूर्वक विनती कीजिए कि, आप संबंधित अधिकारी तथा ऑफिस के स्टाम्प और हस्ताक्षर के साथ लिखित रूप में हमें लिख कर दीजिए कि आप हमें कौन से ऑफिस या पुलिस चौकी में कितने घंटे की पूछताछ के लिए ले जा रहे हैं. अगर संबंधित अधिकारी ऐसी लिखित सूचना देता है तो उस सूचना को संबंधित वकील के या इंडियन lawyers Association के व्हाट्सएप ग्रुप पर भेज दीजिए. 12) पुलिस कर्मचारियों द्वारा पूछे जाने पर उन्हें अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर दीजिए. 13) पुलिस कर्मचारी द्वारा दिए गए किसी भी फॉर्म या पेपर्स पर वकीलों के सलाह के बगैर हस्ताक्षर ना करें. 14) बंद संपन्न होने पर प्रदर्शनों के साहित्य जैसे कि बैनर्स, पाम्पफ्लेट्स, झंडा, बोर्ड इत्यादि तुरंत पब्लिक प्लेस से हटा दीजिए और स्वच्छता का ध्यान रखिए. 1-* अपने सभी रिस्तेदार, संगी साथी,और परिवार के लोगों का जो भी भारत के किसी भी शहर ,मोहल्ला या भारत मे कहीं भी रहता हो उन सभी का फोन नंबर सहित नाम लिख कर घर में बैठ कर आराम से लिस्ट तैयार कर लें । *अ-* अपने सभी संगी साथी, भाई, चाचा, ताऊ,पड़ोसी और रिस्तेदार को *29जनवरी दिन बुधवार* को *भारत बंद* का फोन करके सूचना देना हैकि और बताना है कि अपने लिए अपने बच्चों के भविष्य के लिए *सीएए , एनआरसी*एवं एनपीआर और ईवीएम* के विरोध में भारत बंद है।आप एक दिन छुट्टी लेकर घर बैठ कर इस कानून का विरोध करना है। एक दिन छुट्टी करने से कुछ हमारा या आपका बिगड़ नहीं जायेगा लेकिन आपके छुट्टी लेने से इस कानून के विरोध में देश विदेश में भारी पैमाने पर विरोध दर्ज होगा। जैसे ट्रक ड्राइवर,टैक्सी ड्राइवर, बस ड्राइवर,आटो ड्राइवर, बैट्री रिक्शा, नार्मल रिक्शा, ट्रेन ड्राइवर, हवाई जहाज पायलट,इत्यादि *ब-* और जैसे कोई मजदूर है,राजमिस्त्री,पेन्टर, कारपेन्टर,पलम्बर,ठेकेदार, बिजली मिस्त्री, सिलाई करना या किसी भी फैक्टरी या किसी भी घर मे काम करना, या कहीं भी रेड़ी पटरी लगाना ,जूता चप्पल की दुकान, सब्जी की दुकान और किसी भी कोई तरह का कार्य हो सब बंद करके एक दिन के लिए घर बैठना । *स-* जैसे कोई भी सफर नहीं करना, जो भी लोग सरकारी नौकरी में हो वो भी लोग एक दिन की छुट्टी ले,और विद्यार्थी, अध्यापक, कालेज वाले विद्यार्थी भी छुट्टी लें और एक दिन कोई भी वस्तु न खरीदे और न ही बेंचें। *और यह विशेष ध्यान देना है कि मेडिकल स्टोर्स ,दवा खाना, अस्पताल और एम्बुलेन्स को न ही रोकना हैं और न ही बंद करने के लिए कहना है जिससे किसी भी मरीज को परेशानी न उठाना पड़े और जहाँ तक हो सके मरीज लोगों का सहायता करना है।* *2-* आप लोग अपने दिनचर्या का जो भी समान जहाँ से भी लेते है। उनकी भी एक लिस्ट बनानी है।जैसे *परचून की दुकान, सब्जी की दुकान, कपड़े का दुकान, राशन की दुकान, फल की दुकान, सोने चाँदी की दुकान, कापी किताब की दुकान, दूध डेयरी,बिजली की दुकान, मोबाइल की दुकान, इलेक्ट्रॉनिक टीवी या फ्री की दुकान इत्यादि दुकान वाले से मिलकर नम्रता पूर्वक अपील करना है कि यह कानून हमारे बच्चों और हमारे लिए बहुत बड़ा घातक है कि आपसे अपील है कि 29 जनवरी को भारत बंद है और आपने भी अपनी दुकान बंद करना है।यदि आप बंद नहीं करेंगे तो मैं भी आपको भूल जाउँगा और हम भी आपके यहाँ से समान लेना बंद कर देंगे । *सभी साथियों से अपील है कि यह कार्य 28जनवरी के पहले ही कर लें जिससे सभी को पता रहे* *सभी साथियों से अपील है कि इसको अधिक से अधिक शेयर करें जिससे सभी एससी, एसटी ,ओबीसी एवं अल्पसंख्यकों लोगों तक पहुँच जाय और अमल में लाया जा सके।* *बहुजन क्रांति मोर्चा* *बहुजन क्रांति मोर्चा* *दोषपूर्ण NRCऔर संविधान विरोधी CAA कानून के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन* *(अ)DNA Based NRC लागू करो* *(ब)CAA-2019 हटाओ देश बचाओ* *(स)EVM हटाओ - देश बचाओ* *29 जनवरी 2020 को भारत बंद एक साथ 31 राज्य में 550 जिलों में* *भारत बंद* साथियों *1-National Register of citizens (NRC) का प्रयोग:* राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण रजिस्टर (NRC) का प्रयोग भारत में सर्वप्रथम असम में किया गया। यह प्रयोग करने का प्रयोजन समझना जरूरी है ।यह समस्या भारत के विभाजन से पैदा हुई अन्यथा बांग्लादेश का नागरिक भारत का ही नागरिक होता और यह समस्या पैदा नहीं होती ।तो विभाजन किसने किया ? यह विभाजन *गांधी - नेहरू* के द्वारा किया गया जिसके दस्तावेजी सबूत हैं ।उसके अनुसार दिनांक 15 मार्च 1947 को *डॉ बाबासाहेब आंबेडकर* ने संविधान सभा को स्टेटस एंड मॉयनारिटी नाम का मेमोरेंडम दिया और उसमें गांधी जी के द्वारा जो संयुक्त चुनाव क्षेत्र पुना पैक्ट के जरिए थोपा गया था ,उस को बदलने की मांग की गई थी, और अंग्रेजों ने इस मांग को स्वीकार करने का आश्वासन दिया था । इस आश्वासन को दबाने के लिए *गांधी -नेहरू* ने भारत विभाजन का प्रस्ताव गवर्नर जनरल माउंटबेटन को दिया और कहा कि यदि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को आजाद भारत में पृथक चुनाव क्षेत्र नहीं दिया जाता है तो हम लोग भारत के टुकड़े करने के लिए रजामंद हो सकते हैं। इस तरह *माउंटबेटन* ने भारत के टुकड़े करने का *गांधी- नेहरु* का प्रस्ताव स्वीकार किया और *आजाद भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के स्वतंत्र राजनीतिक अधिकारों की बलि दिया और ओबीसी की जाति आधारित गिनती ना कराने का अधिकार अपने नियंत्रण में लिया ।* इस तरह से आजाद भारत में इन को गुलाम बनाने में कामयाब हो गए। *इसके साथ ही पिछड़े वर्ग ओबीसी को हिंदू बनाकर ब्राह्मणों का गुलाम बनाकर रखा* यह बात मुसलमानों को पता नहीं है और दूसरे अल्पसंख्यक लोगों को भी पता नहीं है इसलिए इसे जानना और समझना बहुत जरूरी है। *2•दिनांक 26 जनवरी 1950 के बाद:* 26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हुआ और संविधान ने प्रौढ मताधिकार लागू किया किन्तु कम्पलसरी एजुकेशन की बात को कांग्रेश ने आजाद भारत में लागू नहीं किया। क्योंकि नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार ब्राह्मणराज की सरकार थी ।इसलिए उन्होंने संविधान पर अमल करने के बजाय मनुष्मृती पर अमल किया। मगर *एक्सरसाइजिंग ऑफ नोट्स* की वजह से *एससी, एसटी और ओबीसी* के लोग आजाद भारत में *पॉलिटिकली* काफी जागृत हुए और राज्यों में ब्राह्मणराज को वर्ण व्यवस्था के अधीन - *A•Intermediatry Castes* जैसे महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में लेवा , कड़वा और पटेल, उत्तर भारत में जाट ,कर्नाटक में ओक्कालिंगा और लिंगायत , आन्र्धा प्रदेश में कन्ना और रेड्डी, तमिलनाड में नायर और दूसरे पिछड़े वर्ग की जातियों और केरला में नायर आदि जातियों ने चुनौती देने का काम किया । इस वजह से ब्राह्मणराज के सामने बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया और ब्राह्मणों को इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए सोचने पर मजबूर होना पड़ा । *B•पिछड़ा वर्ग (OBC):* केवल मध्यम जातियों ने ही ब्राह्मणों को चुनौती नहीं दी बल्कि पिछड़े वर्ग *(ओबीसी)* की जातियों ने भी चुनौती देने का काम किया इसमें खासतौर पर कुर्मी, कोइरी और अहिर जातियाँ शामिल हैं। इससे ब्राह्मणराज के सामने संकट और गहरा हो गया। ब्राह्मणराज को इस चुनौती का भी उपाय ढूंढना जरूरी हो गया। यह पाश्वव्रभूमि *एनआरसी* को समझने के लिए जरूरी है। *3•उपरोक्त पाश्वर्भूमि के अंतर्गत:* उपरोक्त पाश्वर्वभूमि के संदर्भ में असम में यह आंदोलन शुरू हुआ है। इस आंदोलन में कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी-अपनी भूमिका का निर्वहन किया है। इसमें असम के विद्यार्थियों को सामने रखा और पर्दे के पीछे से संघ परिवार और कांग्रेस खेल खेलते रहे। इसके परिणाम स्वरूप असम गण परिषद का निर्माण हुआ और असम गण परिषद का कब्जा हो गया । मगर इसके पीछे कांग्रेस और संघ परिवार का गुप्त रूप से हाथ था। यह असली वजह है कि आज असम मे संघ परिवार का मुख्यमंत्री है और असम गण परिषद दोयम दर्जे की भूमिका अदा करने के लिए मजबूर है । *4•ब्राह्मणों का संख्या बल:* भारत में राज निहाय ब्राह्मणों की संख्या अल्प और अत्यल्प है, मगर पूरे भारत में यह *3•5 प्रतिशत* हैं इमानदारी से अगर चुनाव कराया जाए तो ब्राम्हण अपनी संख्या बल से ग्राम पंचायत का पंच भी चुनवा कर नहीं ला सकते और गांव का सरपंच लाना तो बहुत दूर की बात है। इसलिए सत्ता पर वर्चस्व बनाए रखने हेतु ब्राह्मणों की पार्टियों ने चुनाव में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार का रास्ता अपनाया था और न्यायपालिका इस भ्रष्टाचार को रोकने में विफल हो गई केवल भ्रष्टाचार से ही नहीं, ब्राह्मणों की राष्ट्रीय पार्टियों ने मनी माफी और मीडिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया और आज की तारीख में इसके अलावा अल्पसंख्यक ब्राह्मणों को धार्मिक ध्रुवीकरण करके *एससी ,एसटी और ओबीसी* को अपने अधीन करना बहुत जरूरी हुआ। *5• आज NRC औरCAA का मतलब:* आज *NRC* और *CAA2019* ने देश में सबसे बड़ा असंतोष पैदा किया है और हैरान करने वाली बात यह है कि यह असंतोष केंद्र सरकार ने पैदा करने का काम किया है। केंद्र की सत्ता पर ब्राह्मणों का नियंत्रण प्रस्थापित करने के लिए दो बड़े हथियार विकसित किए जा रहे हैं- *(1) EVM और (2)धार्मिक ध्रुवीकरण* यह धार्मिक ध्रुवीकरण हिंदू बनाम मुसलमानों का ध्रुवीकरण है। जिसमें ब्राह्मणों को कामयाबी मिल रही है। ब्राह्मणों को इसलिए कामयाबी मिल रही है क्योंकि मुसलमानों को नेतृत्व विहीन कर दिया गया है। इस वजह से *एससी, एसटी और ओबीसी जिनकी जनसंख्या 74.5 प्रतिशत* है उनको हिंदू बनाने का अभियान चल रहा है। *CAA-2019 कानून* में भी *एससी, एसटी और ओबीसी को कानून बनाकर हिंदू माना गया है* और उनकी *संवैधानिक पहचान (एससी, एसटी और ओबीसी) को दबाने की कोशिश की गई है* इस तरीके से अल्पसंख्यक ब्राह्मणों को बहुसंख्यक बनने का मौका मिला है। मुस्लिम आवाम को नेतृत्व विहीन कर देने की वजह से ऐसा करना आसान और संभव हो गया है। मुसलमानों को इस ध्रुवीकरण के पीछे की गहरी साजिश समझ में नहीं आ रही है, अगर समझ में आई होती तो मुस्लिम प्रतिक्रिया नहीं करते। मगर यह गहरी साजिश, मुस्लिम नेतृत्व को और मुस्लिम आवाम को जिसे नेतृत्व विहीन कर दिया गया है ,समझ में नहीं आ रही है। इससे वे गहरी साजिश का शिकार होने की संभावना बढ़ रही *6•DNA Based NRC :* *2001 को DNA* का रिसर्च दुनिया के सामने लाया गया। इस रिसर्च के अनुसार *ब्राम्हण का DNA* विदेशी पाया गया। ब्राह्मण भी उद्देश्य, विचार और व्यवहार से दिखाई देते हैं। मगर DNA ने वैज्ञानिक रूप से अंतिमत: प्रमाणित किया कि ब्राह्मण आर्य नहीं, यूरेशियन लोग हैं ।जब से रिसर्च आया या सिद्ध हुआ तब से ब्राह्मण इसकी काट ढूंढने में लगे हुए थे। मगर इसमें वे कामयाब होते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं। *(A) राखीगढ़ी का रिसर्च:* ब्राह्मणों को यह थोड़ी आशा थी कि राखीगढ़ी में *उनका DNA मिलेगा मगर उनका R1A - DNA नहीं मिले* इसलिए ब्राह्मणों ने आरएसएस द्वारा मीडिया में पब्लिक सिटी अभियान शुरू किया और इसके लिए डेक्कन कॉलेज ,पूना के *वसंत शिंदे* को ,जो डीएनए एक्सपर्ट नहीं है, उससे टीवी पर झूठ बुलाया गया कि आर्य भारत के मूल निवासी हैं और उसके बदले में लालच के तहत उसको एक प्रोजेक्ट का डायरेक्टर बनाया गया ।इससे सिद्ध हुआ कि *वसंत शिंदे* भ्रष्टाचार के तहत झूठ बोला। बाद में दुनिया के 125 पुरातत्वविदों नें और DNA एक्सपर्ट ने मिलकर यह घोषित किया कि राखीगढ़ी में ब्राह्मणों का DNA नहीं मिला और इससे यह सिद्ध हुआ कि *ब्राह्मण भारत के मूल निवासी नहीं हैं*। *(B) मूलनिवासियों को विदेशी साबित करने का षड्यंत्रकारी अभियान :* असम में जो NRC के द्वारा के द्वारा लिस्ट तैयार की गई उसमें 19 लाख लोगों को विदेशी घोषित किया गया । डीएनए के अनुसार वे मूलभारतीय हो सकते हैं, मगर *एनआरसी* के अनुसार ब्राह्मणों ने उनको विदेशी घोषित किया। *उसमें 05 लाख मुस्लिम हैं और 14 लाख से ज्यादा एससी, एसटी और ओबीसी के लोग हैं* 14 लाख एससी, एसटी और ओबीसी को भी विदेशी घोषित करने का षडयंत्र है ।अगर एनआरसी को सारे देश भर में लागू किया जाता है तो सारे देश भर में एससी एसटी और ओबीसी को विदेशी साबित करने की साजिश हो सकती है विदेशी होने का डर पैदा करके हिंदू बनने के लिए मजबूर किया जा सकता है। हिंदू का मतलब ब्राह्मणों का गुलाम होता है। यह पक्के तौर पर गुलाम बनाने का षड्यंत्र है ।इसलिए एससी, एसटी और ओबीसी के लोगों को भी सारे देश भर में NRC और CAA का विरोध करना होगा । *(C)केंद्र सरकार को यह करने की हिम्मत क्यों हो रही है ?* केंद्र सरकार को यह करने की हिम्मत इसलिए हो रही है क्योंकि EVM के आधार पर हम चुनकर आ सकते हैं, ऐसा उनको लगता है । *मुस्लिम लोग NRC और CAA का जितना विरोध कर रहे हैं उससे 100 गुना ज्यादा है EVM का विरोध करना चाहिए* EVM का विरोध करने से संघ परिवार का पूरा बंदोबस्त कर सकते हैं। मगर मुस्लिम नेतृत्व को EVM के सहारे से होने वाले गंभीर परिणामों की जानकारी नहीं है और मुस्लिम आवाम को भी जानकारी नहीं है। जब मुसलमान एनआरसी और CAA का विरोध करते हैं तो प्रतिक्रिया मे धार्मिक ध्रुवीकरण होता है , जिससे संघ परिवार को फायदा होता है ।मुस्लिम नेतृत्व और मुस्लिम आवाम अगर EVM का विरोध करते हैं तो धार्मिक ध्रुवीकरण नहीं होता और संघ परिवार मजबूत नहीं होता। इसके लिए मुस्लिम नेतृत्व को पहल करता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है यह हैरानी वाली बात है । *(D)DNA Based NRC:* संघ परिवार मूलनिवासियों को विदेशी साबित कर लें, इसके पहले मूल निवासियों ने वर्तमान *NRC और CAA का विरोध करना होगा *DNA Based NRC आन्दोलन शुरू करना होगा* इससे जो विदेशी ब्राह्मण है , वे सारे देश के लोगों के सामने खुलकर आएंगे । क्या करना होगा । इसलिए इसको देशव्यापी आंदोलन का मुद्दा बनाना होगा। *7• NRC औरCAA को रोकना होगा:* इसे रोकना होगा। इसे कैसे रोक लगा सकते हैं? इसे रोक लगाने के लिए जो एससी, एसटी और ओबीसी के लोग 3000 ( तीन हजार )साल के मजलूम है और मुसलमान आजाद भारत में मजलूम है। इन दोनों मजलूमो को इकट्ठा आना होगा । *इकट्ठा आकर यह लड़ाई एससी, एसटी और ओबीसी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर लड़नी होगी* । यदि एससी, एसटी और ओबीसी के नेतृत्व मे यह लड़ाई पहल करके सभी मुस्लिम और सभी अल्पसंख्यक लड़ते हैं तो इसका पक्का इलाज होगा ।यदि ऐसा नहीं किया गया तो सामूहिक आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा । हमें आशा है कि मुस्लिम और सभी अल्पसंख्यांक लोग सामूहिक आत्महत्या करने का रास्ता नहीं अपनाएगें। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुसलमान और सभी अल्पसंख्यांको ने यदि जालिमों का साथ दिया तो सामूहिक आत्महत्या होगी और धार्मिक ध्रुवीकरण का साथ दिया तो ब्राह्मणों की गुलामी स्वीकार करनी होगी ।इसलिए इसका विरोध करना जरूरी है और राष्ट्रीय स्तर पर विरोध करना जरूरी है। स्थानिक स्तर पर कुछ मुसलमान अपनी नेतागिरी चमकाने की कोशिश कर सकते हैं और मुसलमानों को खतरे में डाल सकते हैं इसलिए मुस्लिम आवाम को सावधान रहना होगा ।मुस्लिम और सभी अल्पसंख्यक लोगों को यह लड़ाई एससी ,एसटी और ओबीसी के नेतृत्व में लड़नी होगी । *बहुजन क्रांति मोर्चा को* *बहुजन मुक्ति पार्टी का जाहिर समर्थन एवं सहभाग* *हरिकेश गौतम* *जिला अध्यक्ष -बहुजन मुक्ति पार्टी प्रतापगढ उ0प्र0* *विधानसभा पूर्व प्रत्याशी, लोक सभा प्रभारी प्रतापगढ* Tags : manner organized citizens fundamental rights constitution country democracy order