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ज्ञान के सूर्य की स्तुति

Ajay Narnavre

Friday, February 19, 2021, 12:09 PM
Surya

कल फिर उस रायगढ़ पर

मैंने शिवराय को देखा

मैंने झुक कर उनको जय भीम कहा

फिर वे गालों में मुस्कुराए

मैंने तुमसे पूछा राजा

क्या मुझे गुस्सा नहीं आया

उन्होंने कहा कि यह अच्छा है बेबी

जय भीम बना दिया

क्योंकि मेरा सच्चा वारिस है

थारे भीमराव ने ठाना है

किसके सामने, यहाँ

होशियार सनातनी ब्राह्मणवाद हार गया

वे मेरे स्वराज्य के साथ हैं

जो सच है, उसने न्याय किया

यहाँ उस जाति व्यवस्था पर जाहल

सही उपाय किया

यह एक मुश्किल है इसे जी रहा है

उसकी आक्रोश भरी बात

उनका संघर्ष भी मेरा स्वराज्य है

अवधारणा भी उतनी ही महान है

और यहाँ इंसानों को इंसानियत सिखाने के लिए

ये प्यासा है

लेकिन यही कारण है कि मैं दुखी महसूस करता हूँ

मेरे बच्चे इस सरल गणित को नहीं समझते हैं

वे बस मुझे अच्छा महसूस कराते हैं ।

लेकिन इनका दिमाग भी भीमराय में क्यों नहीं घूमता

बस इतना ही कहना है उनसे

मैं आपका अनन्त साथी हूँ

लेकिन आज आप भारतीय बनकर ही रहते हैं

हाथ में तलवारें उठा रखी हैं आपने

अब वो कलम उठा के देख लो

फिर आपको भी उस तलवार की जरूरत है

जीवन में कभी नहीं गिरेंगे

बाद में आप के साथ अन्याय

यहाँ कभी नहीं होगा

भले ही उस सूरज का बदन यहाँ डूबता है

लेकिन उसके विचारों का प्रकाश कभी कम नहीं होगा

और इतना महान भूमि पुत्र

हम यहाँ फिर कभी नहीं मिलेंगे

यही कारण है कि यहाँ के सभी नेताओं में

वह केवल महान साबित होता है

और तुम्हारे साथ आज मैं भी

ज्ञान के सूर्य को जय भीम

और आपके साथ आज मैं ज्ञान के सूर्य की स्तुति भी करता हूँ.......

- भूषण गायकवाड





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