- फैसला अक्सर रहता है- Vishal Kadve vishalk030@gmail.com Tuesday, January 11, 2022, 09:29 PM - फैसला अक्सर रहता है- रास्ता कहां से शुरू करूं ये फैसला अक्सर रहता है मंजिल शुरू करने से पहले ये फैसला अक्सर रहता है किताबो की दुनिया से शुरू हो जाती है मंजिल पाने की कहानी कौन सी किताब पढूं ये फैसला अक्सर रहता है यूं तो मौज मस्ती की दुनिया है कब कब और कहां कहां मौज मस्ती उडाउं ये फैसला अक्सर रहता है अगर मंजिल पाने की जिद है तो मंजिल को ही मौज मस्ती समझलूं या मौज मस्ती में जिन्दगी गवाकर इसे ही मंजिल समझ लूं इसी खयालातो में खोया हूं ये फैसला अक्सर रहता है, अब समय मेरे पास इतना नहीं है कि मैं समय किसको दूं मेरे पास एक तरफ परिवार है, तो एक तरफ समाज है मैं इधर जाउं की उधर जाउं ये फैसला अक्सर रहता है परिवार के लिये चला तो कमाने में समय निकल जायेगा और समाज के लिये चला तो समझाने में समय निकल जायेगा परिवार के तरफ चला तो समाज बिखर जायेगा समाज की तरफ चला तो परिवार बिखर जायेगा क्या करूं क्या नहीं करूं ये फैसला अक्सर रहता है मैं जानता हूं कि पल पल मौत मेरी तरफ आ रही है ये मौत मेरे परिवार मेरे समाज की ओर आ रही है इसे कैसे रोकू दिनरात ये फैसला अक्सर रहता है मेरी मंजिल मेरी अपनी नही है, ये आपकी भी है अगर तुम भी चलो तो ये राहे आपकी भी है ये मेरा है, ये तेरा है यह कहना भी नहीं चाहिये फिर भी कह देती है ये दुनिया ये फैसला अक्सर रहता है - कवि लेखक - सिद्धार्थ बागडे Tags : सिद्धार्थ बागडे फैसला अक्सर रहता है