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ब्राम्हण धर्म में क्या है शुद्रो की औकात

TPSG

Monday, March 22, 2021, 02:54 PM
Sudhra

ब्राम्हण धर्म में क्या है शुद्रो की औकात??

ये लेख शुद्र OBC व SC,ST अतिशूद्रों के लिये समर्पित है जो ब्याज पर कर्जा लेकर कांवर ढोते है, रामायण/महाभारत का तो कीर्तन पाठ करवाते है पर सम्मानित जीवन जीने का अधिकार देने वाले संविधान को नही पढ़ते , अपनी गुलामी की बेड़ियों को खुद मजबूत करते है और फर्जी सीना फुलाकर घूमते है...

शूद्र(OBC ) की हिन्दू (ब्राम्हण)धर्म में क्या हैसियत है ???

1 - यह जो ब्राम्हण, क्षेत्रीय, वैश्य व शूद्र जो विभाजन है वह मेरे द्वारा ही रचा गया है। - गीता 4-13

2 - मेरी शरण में आकर स्त्री ,वेश्य , शूद्र भी जिन कि उत्त्पति पाप योनि से हुइ है  परम  गति को प्राप्त हो जाते है। भगवत गीता 9-32

3 - शूद्र का प्रमुख कार्य तीनो वर्णो की सेवा करना है। - महाभारत  4/50/6

4 - शूद्र को सन्चित धन से स्वामी कि रक्षा करनी चाहिये। -  महाभारत 2/60/36

5 - शूद्र तपस्या करे तो राज्य निर्धनता में डूब जायेगा। - वाo .रामायण 7/30/74

6- ढोल .गवार .शूद् पशु नारी  | सकल ताड़ना के अधिकारी || - रामचरित मानस 9/5

7- पूजिये विप्र सील गुन हीना, शूद्र न गुण गन ग्यान प्रविना। -रामचरितमानस 63-1

8- वह शूद्र जो ब्राम्हण के चरणो का धोवन पीता है राजा उससे कर TAX न ले।  - आपस्तंबधर्म सूत्र 1/2/5/16

9 - जिस गाय का दूध अग्निहोत्र के काम आवे शूद्र उसे न छुये।  कथक सन्हिता 3/1/2

10- शूद्र केवल दूसरो का सेवक है इसके अतिरिक्त उसका कोइ अधिकार  नही है। - एतरेय ब्राम्हण 2/29/4

11- यदि कोइ ब्राम्हण शूद्र को शिक्षा दे तो उस ब्राम्हण को चान्डाल की भाँति त्याग देना चाहिये। - स्कंद पुरान  10/19

12 - यदि कोइ शूद्र वेद सुन ले तो पिघला हुआ शीशा, लाख उसके कान में डाल देना चाहिये।

यदि वह वेद का उच्चारण करे तो जीभ कटवा देना चाहिये। वेद स्मरण करे तो मरवा देना चाहिये। गौतम धर्म शूत्र 12/6

13 - देव यज्ञ व श्राद्ध में शूद्र को बुलाने का दंड 100 पर्ण। विष्णु स्मृति 5/115

14 - ब्राम्हण कान तक उठा कर प्रणाम करे, क्षत्रिय वक्षस्थल तक, वैश्य कमर तक व शूद्र हाथ जोड़कर एवं झुक कर प्रणाम करे। आपस्तंब धर्म शूत्र 1,2,5,/16

15 - ब्राम्हण की उत्पत्ति देवता से, शूद्रो की उत्पत्ति, राक्षस से हुइ है। तेत्रिय ब्राम्हण 1/2/6/7

17 - यदि शूद्र जप ,तप, होम करे तो राजा द्वारा दंडनिय है। गौतम धर्म सूत्र  12/4/9

17- यज्ञ करते समय शूद्र से बात नहीं करना चाहिये। शतपत ब्राम्हाण 3;1/10

18- जो शूद्र अपने प्राण, धन तथा अपनी स्त्री को, ब्राम्हण के लिए अर्पित कर दे ,उस शूद्र का भोजन ग्राहय है। विष्णु पुराण 5/11

महाभारत"कहती है - शूद्र राजा नहीं बन सकता।

"गीता" कहती है - शूद्र को ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्यों की गुलामी करनी चाहिए 

"रामायण" कहती है - शूद्र को ज्ञान प्राप्त करने पर मृत्युदंड मिलना चाहिए ।

"वेद" कहते है कि शूद्र ब्रह्मा के पैरोँ से पैदा हुआ है इसिलिये वो नीच है ।

"मनुस्मृति" के अनुसार - शूद्र का कमाया धन ब्राह्मण को बलात् छीन लेना चाहिए ।

"वेद" कहते है - शूद्र का स्थान ऊपर के तीनों वर्णों के चरणों में है।

"पुराण" कहते हैं - शूद्र केवल गुलामी के लिए जन्म लेते हैं ।

"रामचरित मानस" कहती है - शूद्र को पीटना धर्म है ।





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