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जंगल में पुस्तकालय

Narendra Shende
narendra.895@rediffmail.com
Sunday, September 15, 2024, 01:01 PM
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इस चायवाले ने जंगल के बीचो-बीच खोली लाइब्रेरी, पैदल पहुंचकर पढ़ने लगे लोग!

इस पुस्तकालय का नाम ‘अक्षर’ रखा गया। यहाँ एक रजिस्टर में पढ़ने के लिए दी गई पुस्तकों का रिकॉर्ड रखा जाने लगा। पुस्तकालय की सदस्यता एक बार 25 रुपए दे कर या मासिक 2 रुपए दे कर ली जा सकती थी।

आज के समय में किसी भी शहर या गाँव में पुस्तकालय का होना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन केरल के इदुक्की ज़िले के जंगलों के बीच बसे कस्बे एडमलक्कुडी में रहने वाले आदिवासी मुथुवान जाति के लोगों के लिए अपने आस-पास पुस्तकालय का होना एक सपने जैसा था।

वर्ष 2010 में यहाँ दो चीज़ें हुईं – पहला, एडमलक्कुडी केरल का पहला ऐसा कस्बा बना जहां आदिवासी ग्राम पंचायत का गठन हुआ और दूसरा, इस कस्बे के इरिप्पुकल्लु क्षेत्र के एक छोटी-सी चाय की दुकान पर एक पुस्तकालय की स्थापना की गई।

शायद यह दुनिया का एकमात्र पुस्तकालय है जो एक ऐसे वन क्षेत्र के बीचोंबीच है जहां सिर्फ पैदल ही पहुँचा जा सकता था। हालांकि, इस साल मार्च में पहली बार जीप से एडमलक्कुडी तक पहुँचना संभव हुआ है।

- प्रियंका मीना





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