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सारनाथ की लाक्षणिक अभिव्यक्ति

TPSG

Friday, December 6, 2024, 10:00 AM
sarnath

भले ही आज शिव और त्रिशूल एक - दूसरे के पर्याय हो गए हों, लेकिन त्रिशूल की पहली शिल्पकारी बौद्ध कला में मिलती है। कला क्षेत्र में हारिति पहले त्रिशूलधारी हैं, शिव के साथ त्रिशूल बहुत बाद में जुड़ा है। ये त्रिशूलधारी हारिति की मूर्ति पेशावर से मिली है और कुषाण काल की है, शिव की इतनी प्राचीन कोई भी त्रिशूलधारी मूर्ति नहीं मिलती है। त्रिशूल का विकास त्रिरत्न से हुआ है, साँची स्तूप का त्रिरत्न की आकृति त्रिशूल से तुलनीय है। जो कहा जाता है कि काशी त्रिशूल ( त्रिरत्न ) पर है, वह बौद्ध स्थल सारनाथ की लाक्षणिक अभिव्यक्ति है। - विवेक शाक्य





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