बौद्ध वज्रयानी बोधिसत्व श्यामा तारा देवी Pratap Chatse Sunday, February 9, 2025, 03:44 PM ब्राह्मणों ने बौद्ध धर्म की चोरी करके ब्राह्मणीधर्म निर्माण किया है। बौद्ध वज्रयानी बोधिसत्व श्यामा तारा देवी अर्थात काली माता है ( श्यामा = काला रंग, काली, ब्लैक black) तारा देवी या काली का इतिहास वज्रयान में तारा देवी *तारा देवी को आर्य तारा और श्यामा तारा आदि के नामों से भी जाना जाता है । * बौद्ध धर्म की महायान शाखा में तारा देवी को एक महिला बोधिसत्व के रूप में पूजा जाता है । *बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा में तारा देवी को एक महिला बुद्ध तथा मुक्ति की मां के रूप में पूजा जाता है । *तिब्बती परंपरा में तारा देवी को आंतरिक गुणों को विकसित करने के लिए ध्यानी देवी के रूप में मान्यता दी गई है, क्योंकि वज्रयान में तंत्र मंत्र के अलावा ध्यान को भी महत्व दिया गया है । *तिब्बती परंपराओं में कभी-कभी बोधिसत्त्व अवलोकितेश्वर को तारा देवी के साथ दिखाया जाता है जिसमें आधा शरीर अवलोकितेश्वर का और आधा तारा देवी का होता है। इसी कारण अवलोकितेश्वर को अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है । *तिब्बती परंपरा में तारा देवी को बोधिसत्व अवलोकितेश्वर का स्त्री रूप माना जाता है । *तारा देवी का सबसे प्राचीन उल्लेख मंजुश्रीमूल कल्प नामक ग्रंथ में मिलता है । *मंजुश्रीमूल कल्प नामक ग्रंथ में तारा देवी के स्वरूप की चर्चा की गई है। उसी स्वरूप की आकृतियां एलोरा की गुफाओं तथा पाल वंश के शासनकाल के दौरान बनाई गई मूर्तियों में देखने को मिलती है । *पाल वंश के शासनकाल में तंत्र बहुत लोकप्रिय हुआ जिसमें तारा देवी का प्रमुख स्थान था । * पदम संभव के द्वारा तारा देवी को तिब्बत में लोकप्रिय किया गया। आज तारा देवी तिब्बत की सबसे लोकप्रिय देवियों में से एक हैं। *वर्तमान समय में तारा देवी भारत, नेपाल, तिब्बत, भूटान, सिक्किम आदि स्थानों पर सबसे लोकप्रिय देवी के रूप में प्रचलित है । *तिब्बती परंपरा में 21 ताराओं की चर्चा की जाती है जिसमें उनके अलग अलग गुण तथा रंग हैं । * तिब्बती वज्रयान में तारा देवी को डाकिनी और देवी प्रज्ञापारमिता के रूप में भी मान्यता दी गई है । *जैसे-जैसे तारा देवी की लोकप्रियता बढ़ी उनके साथ प्रार्थनाएं, तंत्र मंत्र आदि जुड़ गए। इन सभी की रचना तथा स्थापना भिक्खुओं तथा तांत्रिक योगियों ने मिलकर की थी । *तारा देवी को महिला के सभी गुणों का प्रतीक माना जाता है जिसके अंदर करुणा और क्रोध के दोनों रूप मौजूद हैं । * सफेद तारा जिसकी दो भुजाएं हैं। सफेद कमल पर विराजमान । उनके माथे पर एक तीसरी आंख को दर्शाया जाता है। सफेद तारा को इच्छापूर्ति तारा, करुणा और शांति का प्रतीक माना जाता है। *लाल तारा जिसकी आठ भुजाएं हैं जिसके पास वज्र, घंटी, धनुष, बाण, चक्र, शंख, तलवार और पाश हैं। *काली तारा जिसे उग्रतारा भी कहा जाता है। काली तारा को क्रोधित रूप में दिखाया जाता है जो शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। * पीली तारा जिसे चिंतामणि तारा, राजश्री तारा या वज्र तारा भी कहा जाता है जो नीले कमल को धारण करती हैं। * सरस्वती तारा जिसे कला, ज्ञान और बुद्धिमत्ता की देवी के रूप में जाना जाता है । ऐतिहासिक स्रोत Tags : importance meditation Tantra Mantra Vajrayana qualities meditative Tibetan tradition