पाली भाषा को नष्ट करने के पिछे की साज़िश Anil Golait anilgolait2017@gmail.com Friday, October 16, 2020, 08:49 AM पाली भाषा को नष्ट करने के पिछे की साज़िश को शब्दों से जानें *बौद्ध भिक्खु का अर्थ भिखमंगा नहीं है।* यह गलत व्याख्या है। पूरा जापान बौद्ध भिक्खुओं से भरा पड़ा है। क्या जापान भीख मांग रहा है ? जापान तो आपको दे रहा है। अरुणाचल प्रदेश के मोंपा बौद्ध हैं। वे भीख मांग रहे हैं क्या ? आप नालंदा, राजगीर, गया, सारनाथ गए होंगे। आपने देखा है किसी बौद्ध भिक्खु को भीख मांगते हुए ? भारत में हिमालय के पाद-प्रदेश में बसे खाम्ती, तामंग या मोंपा सभी बौद्ध भिक्खु ही हैं। आपने देखा है इनको भीख मांगते हुए ? ये सभी श्रमशील और खेतिहर जातियाँ हैं। बौद्ध भिक्खुओं को आखिर क्यों श्रमण कहा जाता है ? श्रमण का क्या अर्थ होता है ? भिखमंगा होता है क्या ? जी, नहीं। श्रमण का अर्थ श्रम करने वाला होता है। आप श्रमण को भिखमंगा किस आधार पर कह रहे हैं ? काम - धाम में जो धाम है, वह धम्म ही है। घर का बोधक नहीं, काम करने का बोधक है जैसा कि काम- काज में है। आपको पता होगा कि इसी तर्ज पर उर्दू में भी एक शब्द प्रचलित है - फकीर। फकीर लोग मितव्ययी और संत होते हैं। फकीर को आप भिखमंगा नहीं कह सकते। ऐसे भी भिक्खु का अर्थ बौद्ध संत, संन्यासी होता है, भिखारी या भिखमंगा कभी नहीं। ये संस्कृत नजरिए से भिक्खु का अर्थ भिखमंगा हुआ है। बौद्ध सन्यासियों या गुरूओं को भिक्षु (संस्कृत) या भिक्खु (पालि) कहते हैं। भिक्षु संस्कृत भाषा का शब्द है जबकि भिक्खु पालि भाषा का। Tags : begging Buddhist agricultural