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त्याग मूर्ति रमाई 

Pratima Ramesh Meshram

Friday, February 11, 2022, 02:07 PM
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त्याग मूर्ति रमाई 

विश्व प्रसिद्ध ,भारत रत्न,भारतीय संविधान के रचियता डॉ.भीमराव अंबेडकर विद्वान की अर्धांगिनी रमाई ने अपना सम्पूर्ण जीवन शोषित , पीड़ितों पिछड़ों, व अष्प्रश्य समाज के मसीहा अपने पति बाबा साहब डॉ आंबेडकर के लिए समर्पित किया। कहा जाता हैं की हर कामयाब पुरुष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है,इस बात का श्रेय pura-pura  रमाई को जाता हैं।रमाई ने बाबा साहब की छाया(साऊ ली) बनकर हमेशा कदम दर कदम उनका साथ दिया।त्याग,बलिदान,समर्पण कर अपने पति के भविष्य में ही उन्होंने अपना भविष्य तलाशा।रमाई samarpita रमाई सदैव बाबा साहब को शिक्षा के लिए प्रेरित करती थी । स्वयं तकलीफ सहकर बाबा साहब को कहती थी साहेब (तुम्हीं खूब शिका) आप शिक्षा ग्रहण करके ही अपना व अपने समाज का उद्धार करोंगे। बाबा साहब की पढ़ाई में बाधा न हो इसलिए स्वयं के बच्चो के मृत्यु की खबर तक उनसे छिपाई।कई अधूरी पढ़ाई छोड़कर बाबा साहब विदेश से वापस आ न जाए इसलिए दिल पर पत्थर रख कर इस घटना की सूचना बाबा साहब को नहीं दी ।ऐसी त्यागमूर्ति रमाई को हमेशा अपना आदर्श मानना चाहिए। बाबा साहब रमाई को प्यार से रामू कहते थे।अक विद्वत्ता सम्पन्न महापुरुष की पत्नी,अर्धांगी,सहचरीनी अपने बालों में गजरा,v सेवा के लिए हुजरा (हुजरे)तैनात कर सकती थीं किन्तु ऐसा नहीं था स्वयं कष्ट के आग में जल कर बाबा साहब की ढाल बनकर उनको सहयोग करती रही।अपना सारा जीवन जिस माउली ने बाबा साहब को समर्पित किया ऐसी महान माता रमाई को उनके स्मृति दिन पर koti-koti प्रणाम रमाई हमारा आदर्श हैं,हम जीवन में उनका अनुकरण करना चाहिए।ऐसी समर्पित त्यागमूर्ति का आदर्श सामने रखकर आज की आंबेडकरी स्त्री , बुद्ध उपसिका आगे आकर प्रबुद्ध भारत निर्माण करने में सहयोग दे।

 व बाबा साहब के सपनों का भारत निर्माण मेंसहयोगी बने।





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