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स्थायी सुख

Pratima Ramesh Meshram

Tuesday, April 30, 2019, 10:39 PM
Sthai sukh

स्थायी सुख (सत्य की प्राप्ति में)
बौध्द भिक्षु बोधी धर्म जब बौध्द धर्म को भारत से चीन, जापान और पूर्वी एशिया के अन्य देशो में ले गए तो बौध्द धर्म की झेन शाखा विकसित हुई। इसमे कथाओं के माध्यम से चेतना का विस्तार कर बंधुत्व की प्राप्ति के काबिल बनाया जाता है। ऐसे ही एक झेन कथा है एक व्यक्ति घने जंगल से गुजर रहा था अचानक सामने एक भयानक शेर आ गया। हड़बड़ाकर वह उल्टी दिशा में भागने लगा और जल्दी ही एक सैकड़ो फिट गहरी खाई के किनारे पहुंच गया। तभी उसे खाई में एक लम्बी बेल लटकती नजर आई। उसे उम्मीद जगी कि बेल पर लटकर नीचे उतरने की कोई राह निकल आएगी। वह बेल पकड़कर लटकने लगा। तब तक खाई के कगार पर पहुंच चुका शेर उसे देखकर दहाड़ने लगा। तभी उसकी निगाह नीचे गई तो देखा कि नीचे खाई में एक अजगर मुंह फाड़े उसका इंतजार कर रहा है। तभी उसने देखा किन न जाने कहां से दो चुहें आकर बेल कुतरने लगे। एक चुहा सफेद और एक काला था। उस संकट के बीच उसे बेल में एक लाल और रसभरा फल दिखा। उसने फल को मुंह में रखा और कहां कितना मीठा और अद्भूत फल है।
तात्पर्य है कि शेर भूतकाल के कर्मो का प्रतिक है, जो हमारा पीछा करते है। सांप बुढ़ापे व बीमारियों का प्रतिक है। खाई में लटकते बेल वर्तमान है। भूत व भविष्य के खतरो के बीच इस वर्तमान में वजूद बनाये हुये है और जंगली फल सांसारिक अस्थायी आनंद का प्रतिक है। दो चुहे दिन और रात का प्रतिक है, जो लगातार उम्ररूपी वर्तमान की बेल काट रहे है। ऐसे खतरो के बीच रहकर भी मानव भविष्य को सुरक्षित करने के लिये सत्य की प्राप्ति में नहीं लगता और जंगली फल जैसे अस्थायी सुखो की प्राप्ति में स्वयं को धन्य मानता है।
संग्रहक - प्रतिमा रमेश मेश्राम, पाण्ढूर्णा

 





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