असोक - स्तंभ Rajendra Prasad Singh Monday, March 27, 2023, 09:47 AM असोक - स्तंभ की चिकनाई से प्रत्येक युग के लोग चकित होते आए हैं। 14 वीं सदी की सीरत- ए- फिरोजशाही में लिखा है कि जब सूर्य की किरणें इस पर फैलती हैं तो कोई 4 मील की दूरी से देखने पर ऐसा लगता है, मानों सोने का कोई टीला हो। स्तंभ इतना सौंदर्यशाली है, मानों किसी स्वर्गवृक्ष को किसी देवदूत ने स्वर्गलोक से धरती पर उतर कर रोप दिया हो। 17 वीं सदी में टाॅम कोरिएट ने लिखा है कि स्तंभ पर पीतल की परत चढ़ी हुई है। विटेकर ने भी कहा कि हाँ, हाँ स्तंभ पर पीतल की परत चढ़ी है। चैपलेन फेरी को तो संगमरमर का भ्रम हुआ। 19 वीं सदी में भारत आए बिशप हैबर ने लिखा कि यह ढली हुई धातु का है। स्तंभों का वजन इतना कि दिल्ली सुल्तान फिरोजशाह तुगलक को इसे खींचने के लिए 42 पहिए की स्पेशल गाड़ी बनवानी पड़ी थी। इतना सुंदर कि सुल्तान ने इसे रेशमी रूई पर लेटाने की राजाज्ञा जारी की। Tags : Asoka's pillar smoothness amazed People